हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए उचित उपायों के पालन करने का निर्देश दिया है। शिवलिंग के आकार में परिवर्तन का खुलासा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट से हुआ है। कोर्ट द्वारा गठित जीएसआइ एवं पुरातत्व विभाग की टीम ने शिवलिंग की लंबाई-चौड़ाई नापने के साथ छिद्रों में जम रहे दूध- दही, पूजन सामग्री की जांच के लिए सैंपल और फोटो लिए। 40 वर्ष में शिवलिंग का आकार छोटा हो गया है।
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के मुख्य कानूनी सलाहकार एवं सुप्रीम कोर्ट में अखाड़े के लिए याचिका दायर करने वाले अभिभाषक मुकेश खेर ने बताया कि कोर्ट ने मंदिर समिति को शिविलंग पर शुद्ध सामग्री चढ़ाने के आदेश दिए। इसके लिए समिति की गोशाला विकसित करने को कहा है। गोशाला से शुद्ध सामग्री मिलने से बाहर की सामग्री लाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि मंदिर में पूजन-अर्चन, भस्म आरती कैसे हो, शृंगार कैसे किया जाए, कितनी पूजन सामग्री, भांग अर्पण की जाए यह सब तय करना मंदिर प्रबंध समिति का काम है।
फिलहाल 67 सेमी का है शिवलिंग
रिपोर्ट में बताया कि महाकालेश्वर के वर्तमान शिवलिंग की ऊंचाई 67 सेमी है और व्यास 47.97 सेमी है। रिपोर्ट में शिवलिंग की लंबाई-चौड़ाई की जानकारी के साथ इसके वर्तमान फोटोग्राफ भी दिए हैं।
जनवरी 2019 में फिर आएगी जांच टीम
शिवलिंग संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए उपायों की जांच को लेकर जियोलॉजिकल सर्वे की टीम जनवरी 2019 में फिर आएगी। कोर्ट ने जनवरी में निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
क्षरण रोकने का उपाय करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट में जीएसआइ की ओर से पेश रिपोर्ट में बीते 40 वर्षों में शिवलिंग का आकार घटना बताया है। कोर्ट ने आदेश में शिवलिंग क्षरण रोकने व इसे सुरक्षित रखने के उपायों का पालन करने के निर्देश भी दिए हैं।
– मुकेश खेर, अभिभाषक