मालवीय ने अपने पोस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गांधी को मंदबुद्धि गैंग का व्यक्ति बताया है। इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सन्यास लेने का सुझाव देते हुए हिमालय जाकर अपनी हड्डियां गलाने की सलाह दी थी।
इस बयान को लेकर सांसद चिंतामन मालवीय ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट में लिखा कि जिग्नेश मेवानी जैसे लोगों ने देश को तुच्छ जातिवादी राजनीति ही दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऐसे नेताओं की तुलना नहीं की जा सकती है। जिग्नेश मेवानी ने यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया है। तो अब क्या वो बुजुर्ग हो चुके
सोनिया गांधी , मनमोहन सिंह को भी हिमालय जाकर अपनी हड्डियां गलाने की सलाह देंगे।
तो सांसद से क्या उम्मीद करें भ्राजपा सांसद के बयान की आलोचना करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने कहा कि भाजपा के नेताओं की भाषा सत्ता के मद में असंयमित हो गई है। जब उनके मुखिया ही गलत भाषा का उपयोग करते हैं तो सांसद का क्या करें।
एक बार फिर फिल्म पद्मावती को लेकर सांसद चिंतामणि मालवीय ने दिया विवादित बयानबीते दिनों पहले ही
मध्य प्रदेश के उज्जैन से भाजपा के सांसद चिंतामणि मालवीय ने फिल्म पद्मावती के विरोध में फेसबुक पर एक विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘जिनकी बीवी रोज शौहर बदलती हैं उनके लिए जौहर की कल्पना मुश्किल है’। अब एक बार फिर से उन्होंने विवादित बयान दिया है। मालवीय ने सुब्रमण्यम स्वामी के बयान पर अपनी पूरी सहमित जताई है, जिसमें स्वामी ने ‘पद्मावती’ का दुबई कनेक्शन जोड़ा है। साथ ही सेंसर बोर्ड को भी सलाह दी है।
फिल्मी दुनिया में हैं रहस्यमयी पर्दे
बता दें कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने दिसंबर में रिलीज होने वाली फिल्म पद्मावती को अंतर्राष्ट्रीय साजिश बताया है। इसके बारे में उनका मानना है कि हिंदुओं को बदनाम करने के लिए साजिश की गई है और दुबई से रुपए भेजे जा रहे हैं। उन्होंने फिल्म की फंडिंग जांच की मांग की है। सुब्रमण्यम स्वामी के इस बयान के बाद सांसद मालवीय ने कहा है कि फिल्मी दुनिया के बहुत सारे रहस्यमयी पर्दे है। इतने बड़े बजट की फिल्में कभी भी लोन लेकर नहीं बनाई जाती हैं। इसके पीछे कई सारे बड़े राज हैं। ये सब काले धन का कमाल होता है। इसमें पूरी तरह से टेरर फंडिंग होती है।
मालवीय का मानना है कि ऐसी मान्यताओं और ऐसे पैसे से फिल्में नहीं बनाना चाहिए। अगरवइस फ्रकार की किसी भी फिल्म को बनाया जाता है तो, ये फिल्में नहीं देखी जानी चाहिए। इसका पूरी तरह से विरोध किया जाना चाहिए। सांसद मालवीय सेंसर बोर्ड को भी सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि कागजी औपचारिकताएं पूरी न करें। सेंसर बोर्ड को लोगों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। सेंसर बोर्ड का
काम कागजों पर होता है लेकिन लोगों कि भावनाएं कागजों पर नहीं होती है। फिल्म को इस तरीके से बनाया जाए कि लोगों का भावना को किसी प्रकार की ठेस न पहुंचे।