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उज्जैन

उत्तर-दक्षिण में 20 साल से कांग्रेस बाहर, हर बार भारी रही भीतरघात और बगावत

Assembly Election 2023 MP : कांग्रेस ने आखिरी बार 1998 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर और दक्षिण की सीट एक साथ जीती थी। इसके बाद से चार चुनाव हो चुके हैं लेकिन कभी इन पर रिपीट नहीं हो पाई है।

उज्जैनOct 15, 2023 / 08:59 am

Sanjana Kumar

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Assembly Election 2023 MP : विधानसभा चुनाव में उज्जैन शहर की स्थिति फोटो-भीतरघात उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधानसभा में कांग्रेस 20 साल से अपने विधायक का चेहरा नहीं देख पाई है। इसके पीछे जनता द्वारा भाजपा प्रत्याशी को चुनना तो मुख्य कारण है ही, कांग्रेस के बागी और भीतरघातियों ने भी कांग्रेस प्रत्याशी को हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब पांचवे चुनाव में क्या स्थिति बनेगी, टिकट वितरण के बाद कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। कांग्रेस ने आखिरी बार 1998 के विधानसभा चुनाव में उज्जैन उत्तर और दक्षिण की सीट एक साथ जीती थी। इसके बाद से चार चुनाव हो चुके हैं लेकिन कभी इन पर रिपिट नहीं हो पाई है।

जिला मुख्यालय से जुड़ी यह दोनों ही सीट्स कांग्रेस के लिए ड्रीम मिशन बन गई हैं। भाजपा जहां लगातार पांचवी बार अपने इन गढ़ों को जीत नया रिकार्ड बनाना चाहती है वहीं कांग्रेस हर हाल में शहरी सत्ता पर काबिज होना चाह रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार चुनावी लड़ाई दोनों ही दलों के लिए आसान नहीं होगी। कांग्रेस के लिए तो पूर्व की तरह बगावत और भितरघात चुनौती बन ही सकते हैं, भाजपा को भी असुंष्ट कार्यकर्ताओं को चुनाव में दिल से जुटने के लिए मनाना होगा।

उज्जैन दक्षिण : जमानत जब्त तक करवाई

1. विधानसभा चुनाव-2018 भाजपा- डॉ. मोहन यादव, 78178 (46.71 प्रतिशत) वोट। कांग्रेस- राजेंद्र वशिष्ठ, 59218 (35.38 प्रतिशत) वोट। चुनाव पर प्रभाव- कांग्रेस के जय सिंह दरबार बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। 19 हजार 560 (11.69 प्रतिशत) वोट प्राप्त किए। बाद में भाजपा में शामिल हो गए।

2. विधानसभा-2013 भाजपा- डॉ. मोहन यादव, 73108(51.64 प्रतिशत) कांग्रेस- जयसिंह दरबार, 63456 (44.82प्रतिशत) वोट। चुनाव पर प्रभाव: कोई बड़ा नेता निर्दलीय नहीं लड़ा लेकिन भितरघात भारी रहा।

3. विधानसभा-2008 भाजपा- शिवनारायण जागीरदार, 38351 (37.46 प्रतिशत) वोट। कांग्रेस- योगेश शर्मा, 13868 (13.54 प्रतिशत) वोट। जमानत जब्त हुई। चुनाव पर प्रभाव- कांग्रेस के जय सिंह दरबार निर्दलीय लड़ 25622(20 प्रतिशत) व राजेंद्र वश्ष्ठि निर्दलीय लड़ 18782 (18.34 प्रतिशत) वोट लाए थे।

4. विधानसभा चुनाव-2003 भाजपा- शिवनारायण जागीरदार, 63249 (55.17 प्रतिशत) वोट। कांग्रेस- प्रीतिभार्गव, 34705, (30.37 प्रतिशत) वोट।

चुनाव पर प्रभाव- अन्य दलों के साथ पांच लोग निद्रलीय लड़े जिनमें से अधिकांश कांग्रेस समर्थित थे। भितरघात भी सक्रिय रहा।

उज्जैन उत्तर: बगावत कम, भितरघात ज्यादा

विधानसभा-2018

भाजपा- पारस जैन, 77271 (52.49 प्रतिशत) वोट। कांग्रेस- राजेंद्र भारती, 51547 (35 प्रतिशत) वोट। चुनाव पर प्रभाव- कांग्रेस की माया त्रिवेदी निर्दलीय चुनाव लड़ी और 13072 (8.88 प्रतिशत) वोट लाईं।

विधानसभा-2013

भाजपा- पारस जैन, 72815 (51.64 प्रतिशत) वोट। कांग्रेस-विवेक यादव, 47966 (38 प्रतिशत) वोट। चुनाव पर प्रभाव- भाजपा प्रत्याशी को अधिक पसंद किया लेकिन कांग्रेस को भितरघात से भी नुकसान पहुंचा।

विधानसभा-2008

भाजपा- पारस जैन, 49573 (54.11 प्रतिशत)वोट। कांग्रेस- बटुकशंकर जोशी, 27661 (30.11 प्रतिशत) वोट। चुनाव पर प्रभाव- भाजपा की रणनीति का असर। भितरघात के साथ ही निर्दलीय या अन्य दल से तीन-चार ऐसे प्रत्याशी चुनाव लड़े जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ।

विधानसभा-2003

भाजपा- पारस जैन, 50592 (54.55 प्रतिशत) वोट। कांग्रेस- राजेंद्र भारती, 34058 (36.72 प्रतिशत) वोट चुनाव पर प्रभाव- भाजपा को अधिक पसंद किया गया। भितरघात का से कांग्रेस को और नुकसान हुआ।

भाजपा को पुरानी सीट्स पाना है तो कांग्रेस को नई पर जीत की चाह

चुनाव में जहां भाजपा हारी हुई सीटों को दोबारा पाना चाहती है वहीं कांग्रेस 4 सीट के आंकड़े को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। टिकट की खींचतान के चलते लक्ष्य दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा। शहरी सीटों के साथ जिले में टिकट को लेकर जमकर खींचतान मची है। भाजपा 7 में से 4 सीट पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। घोषणा के साथ तीन सीटों पर विरोध सामने आ गया था। हालांकि भाजपा ने असंतुष्टों को मनाने का दावा किया और विरोध के स्वर थमे दिख रहे हैं। कांग्रेस ने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। घोषणा होने के साथ ही कुछ सीटों पर कांग्रेस को भी विरोध का सामना कर पड़ सकता है।

* इस बार बगावत या भीतरघात जैसी स्थिति नहीं बनेगी। अच्छे उम्मीदवारों को टिकट दिए जा रहे हैं, जिनके लिए सभी मिलकर कार्य करेंगे। कांग्रेस उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधानसभा भी जीतेगी।

– रवि भदौरिया, शहर कांग्रेस अध्यक्ष

* भाजपा का कार्यकर्ता पार्टी की विचारधारा से जुड़ता है। कई बार इच्छा पूरी नहीं होने से नाराजगी की स्थिति बनती है। कोई नाराज होता है तो पार्टी परिवार के सदस्य की तरह उससे बात करेगी और मनाएगी।

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