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उज्जैन

यहां हैं महादेव के 84 मंदिर, सावन में होती है आराधना

धार्मिक नगरी उज्जैन में 84 महादेवों के मंदिर हैं, जहां श्रावण माह में विशेष रूप से आराधना की जाती है। इनके माहात्म्य को पुराणों में विस्तृत रूप से समझाया गया है।

उज्जैनJul 19, 2016 / 09:39 pm

Lalit Saxena

84 mahadev temple at ujjain, Sawan is in the worsh

84 mahadev temple at ujjain, Sawan is in the worship

उज्जैन. धार्मिक नगरी उज्जैन में 84 महादेवों के मंदिर हैं, जहां श्रावण माह में विशेष रूप से आराधना की जाती है। इनके माहात्म्य को पुराणों में विस्तृत रूप से समझाया गया है। अलग-अलग नाम से स्थापित इन 84 महादेवों की आराधना का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न है। श्रावण मास में हर दिन पत्रिका डॉट कॉम पर आप इनकी महिमा जान सकेंगे।

महाकाल वने दिव्ये यक्ष गन्धर्व सेविते।
उत्तरे वट यक्षिण्या यत्तल्लिङ्गमनुत्तमम् ।।

84 महादेवों के क्रम में पहला मंदिर अगस्त्येश्वर महादेव का आता है। यह मंदिर हरसिद्धि मंदिर के पीछे स्थित संतोषी माता मंदिर परिसर में है। अगस्त्येश्वर महादेव मंदिर की स्थापना ऋषि अगस्त्य, उनके क्षोभ और महाकाल वन में तपस्या से जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यतानुसार जब दैत्यों का आधिपत्य देवताओं पर बढऩे लगा, तब निराश होकर देवतागण पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे। एक दिन देवतागण वन में भटक रहे थे तब उन्होंने वहां सूर्य के सामान तेजस्वी अगस्त्य ऋषि को देखा। ऋषि को देवताओं ने दैत्यों से अपनी पराजय के बारे में बताया, जिसे सुनकर ऋषि क्रोधित हुए। उनके क्रोध ने एक भीषण ज्वाला का रूप लिया, जिसके फलस्वरूप स्वर्ग से दानव जल कर गिरने लगे। यह देख ऋषि, मुनि आदि भयभीत हुए और पाताल लोक चले गए। इस घटना ने अगस्त्य ऋषि को उद्वेलित किया। दु:खी होकर वे ब्रम्हाजी के पास गए और ब्रम्ह हत्या के निवारण हेतु विनय करने लगे कि दानवों की हत्या से मेरा सब तप क्षीण हो गया है, कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मुझे मोक्ष प्राप्त हो। तब ब्रम्हाजी ने कहा कि महाकाल वन के उत्तर में वट यक्षिणी के पास एक बहुत पवित्र शिवलिंग है, वहां उनकी पूजा कर तुम समस्त पापों से मुक्त हो सकते हो। ब्रम्हाजी के कहे अनुसार अगस्त्य ऋषि ने उस लिंग की पूजा की और वहां तपस्या की, जिससे भगवान महाकाल प्रसन्न हुए। उन्हें वरदान दिया कि जिस देवता का लिंग पूजन तुमने किया है, वे तुम्हारे नामों से तीनों लोकों में प्रसिद्ध होंगे, तभी से यह शिव स्थान अगस्त्येश्वर के नाम से विख्यात हुआ। अगस्त्येश्वर महादेव की आराधना साल भर में कभी भी की जा सकती है, लेकिन श्रावण मास में इसका अधिक महत्व है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि अष्टमी और चतुर्दशी को जो इस लिंग का पूजन करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वह मोक्ष को प्राप्त करता है।

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