———– एक वर्ष में 556 मामले बढ़े- प्रदेश में बाल अपचारियों के अपराधों की संख्या वर्ष 2021 में 3701 थी, जबकि वर्ष 2022 में 4257 रही है। विगत 2 वर्षो में चोरी नकबजनी, बलात्कार, हत्या, पोक्सो एक्ट व आर्म्स एक्ट के अपराध बढ़े हैं।
– बाल अपचारियों के लिए कानून में कम सजा होने के कारण अपराधियों द्वारा बच्चों का इस्तेमाल करने के लिए पुलिस ने छानबीन की है, हालांकि इस तरह का कोई प्रकरण प्रदेश में सामने नहीं आया है।
—— प्रदेश के बडे़ जिलों की िस्थति:वर्ष – जिला- हत्या- हत्या का प्रयास- चोरी- लूट- डकैती- बलात्कार- नकबजनी-अपहरण- बलवा 2021- उदयपुर – 4- 13- -47- 18 – 0- 22- 14- 19- 02022 4- 13- – 33- 18- 0- 20- 23- 35- 3
2021- जयपुर द.- 4- 0- 28- 0- 0- 2- 07- 1- 02022 – 0- 0- 33- 4- 0- 3- 10- 0- 0 2021 जयपुर पूर्व- 2- 0- 23- 2- 0- 8- 9- 5- 72022- -1 – 1- 19- 0- 0- 8- 3- 3- 3
2021- जयपुर उत्तर-0- 3- 23- 6- 0- 2- 12- 0- 02022- 2- 1- 15- 4- 0- 3- 7- 3- 0 2021- जोधपुर पूर्व- 1- 0- 21- 1- 0- 1- 8 – 2 02022- – 0- 2- 18- 4- 0- 4- 4- 3 0
2021- कोटा शहर- 0 – 25- 16- 4- 0- 6- 3- 7- 020 22- – 4- 32- 18- 4- 0- 3- 1- 11- 0 —————– बाल अपराध बढने का कारण अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि करीब 90 प्रतिशत बालक मूल रूप से अपराध की ओर नहीं होते। कुसंगती, बढ़ती नशा प्रवृत्ति व पारिवारिक उपेक्षा अपराध की ओर से जाने का बड़ा कारण है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है, कि बच्चा जो अपचारी के रूप में आता है, वे दुबारा बेहद कम आते हैं। बच्चों की नियमित काउसंलिंग बाल सुधार गृह में जारी है।केके चन्द्रवंशी, सहायक निदेशक एवं अधीक्षक राजकीय बाल सुधार गृह उदयपुर