राजस्थान का यह शहर जिसकी खूबसूरती मानसून आने पर हो जाएगी दोगुनी, यूरोप के कई बड़े शहरों को दे रहा टक्कर
Mewar Tourism : उदयपुर, लेकसिटी देश और दुनिया में मोस्ट सर्व्ह सिटीज में आती है। ऐसे में देश-विदेश से लोग यहां आना पसंद करते है। उदयपुर के होटल्स, रिजॉर्ट अब केवल कुछ महीने ही नहीं, बल्कि 12 महीने ही पैक होने लगे हैं।
लेकसिटी देश और दुनिया में मोस्ट सर्च्ड सिटीज में आती है। ऐसे में देश-विदेश से लोग यहां आना पसंद करते है। उदयपुर के होटल्स, रिजॉर्ट अब केवल कुछ महीने ही नहीं, बल्कि 12 महीने ही पैक होने लगे हैं। वहीं, ऐसे लोग भी कम नहीं है जो उदयपुर के कुछ अनछुए या लेसर नॉन डेस्टिनेशंस की तलाश में आते हैं। बता दे कि मेवाड़ में डेस्टिनेशंस की कमी नहीं है। यहां ऐसी कई जगह ऐसी है जो यूरोपियन कंट्रीज की तरह ही खूबसूरत है। मानसून में इनकी खूबसूरती दोगुनी हो जाती है और ये यूरोप कोे कई खूबसूरत शहरों को पीछे छोड़ देती है।
बाहुबली हिल्स उदयपुर शहर के केंद्र से लगभग 15 किमी और फतह सागर झील से 6 किमी दूर है। यहां जाने के दो रास्ते हैं एक गांव वरडा से और दूसरा नवनिर्मित पुल से। अरावली पर्वत श्रृंखला का हिस्सा हैं बाहुबली पहाड़ियां। पहले लोग इसे बड़ी झील वाली पहाड़ी बोलते थे, फिर बाहुबली में इसके जैसी ही पहाड़ी का सीन आ गया, तो नाम फेमस हो गया बाहुबली हिल्स। इस पहाड़ी से झील के टर्टल शेप पहाड़ी का भी नजारा दिखता है, जिससे बहुत खूबसूरत नजारा बनता है।
रावली-टाडगढ़ सेंचुरी में जंगल सफारी है मजेदार
जो टूरिस्ट नेचर लवर्स हैं टाडगढ़ रावली वाइल्ड लाइफ सेंचुरी उनके लिए सबसे उपयुक्त डेस्टिनेशन है। ये जंगल सफारी एक नया रोमांच पैदा करती है। ऐसे अद्भुत नजारों को वे यादगार के तौर पर संजो कर वहां से ला सकते हैं। यहां जाने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों में ही होता है।
उभयेश्वर है ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्तों पर बना खूबसूरत जगह
उदयपुर में ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्तों पर एक और खूबसूरत जगह है उभयेश्वर। यह उदयपुर से लगभग 20 किमी दूर है। यह अपने वैष्णो देवी मंदिर और भगवान शिव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए ये उभयेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मानसून यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। वन विभाग यहांतरह-तरह के पौधे लगा कर उभयेश्वर स्मृति वन का विकास कर रहा है।
पहुंचने में करीब एक घंटा लगता है। वर्ष 1938 में मेवाड रियासत के समय पहाड़ों के बीच में से इस रेलवे लाइन को घुमावदार घाटी, पहाड़ी, ढलान व गहरी खाइयों के बीच निकाला गया है। गोरमघाट पहुंचने के लिए पर्यटकों को सिर्फ रेल का ही सहारा लेना पड़ता है। लेकिन यह ट्रेन सफारी ही लोगों के लिए यादगार बन जाती है। यह ट्रेन 22 किलोमीटर का सफर पहाड़ों और गुफाओं से गुजरते हुए तय करती है। मानसून में यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है।
बटरफ्लाई पार्क में दिखेंगी हजारों तितलियां
प्रदेश का पहला बटर फ्लाई पार्क उदयपुर में बनकर तैयार हो चुका है। आचार संहिता के कारण इसका उद्घाटन अटका पड़ा है। पार्क में विभिन्न प्रजातियों की हजारों तितलियां देखने को मिलेगी। तितलियों का पार्क नाथद्वारा रोड पर अम्बेरी पुलिया के पास स्थित मेवाड़ बाया डायवर्सिटी पार्क में बना है। 80 हेक्टेयर एरिया में फैले बायोडायवर्सिटी पार्क का 2 हेक्टेयर एरिया तितलियों के लिए खास किया गया है।
रायता हिल्स फिल्मों की शूटिंग के लिए फेमस
उदयपुर से करीब 25 किमी. दूर रायता गांव के चारों ओर हरियाली, यहां की खासियत है। वैसे रायता डिल्स फिल्म शूटिंग और प्री वेडिंग शूट का डेस्टिनेशन बन चुका है। अब तक यहां कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। साथ ही सोशल मीडिया पॉपुलर होने से युवाओं का आना-जाना बहुत बढ़ गया है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अमरचंद बड़वा के नाम से खास जुड़ाव
उदयपुर से अमरचंदिया झील 30 किमी दूर है। यह उदयपुर- कुंभलगढ़ मार्ग पर है। मेवाड़ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमरचंद बड़वा के नाम से अमरचंदिया झील का नाम पड़ा। उन्होंने सेना के कमांडर के रूप में मराठों के हमले से मेवाड़ की रक्षा की थी। त्रिपोलिया गेट, 12 पोल, शहर की दीवारें, बागोर की हवेली और अन्य उदयपुर निर्माण सभी उनके द्वारा बनाए गए थे। यहां पर बोटिंग और कैम्पिंग का लुत्फ उठा सकते हैं।
अलसीगढ़ में रोड ट्रिप का लें मजा
अगर आपको रोड ट्रिप पसंद है, तो आपको बाइक पर होकर हरी-भरी पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाना चाहि अलसीगढ़ शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर है। यह पहाड़ों, प्राकृतिक झीलों, बांध और छोटी हरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो आपको अपन शांतिपूर्ण आभा से मंत्रमुग्ध करने के लिए पर्याप्त है। बारिश के समय में जगह की खूबसूरती चरम पर होती है।
लवकुश वाटिका की सुंदरता बेहद निराली
पर्यटकों और शहरवा के लिए दूधतलाई पर वन विभाग की ओ विकसित की गई लव-कुश वाटिका अभ युवाओं का आकर्षण बन चुकी है। वाटिका परिसर में 22 से ज्यादा चेक डेम बनाए हैं। इनसे भूमिगत जलस्तर बढ़ने वन्यजीवों के लिए भी पानी उपलब्ध रहेम मानसून में चेकडेम भरने से यहां अलग। खूबसूरती नजर आएगी। वाटिका में हरिन के लिए इस मानसून के दौरान 2200 से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। इस वाटिका का उद्घाटन होना शेष है।