scriptTribute To Lata Mangeshkar : मेवाड़ ने दिया था स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर को ये प्रतिष्ठित सम्‍मान, लोग आज भी नहीं भूले वो दिन | Tribute To Lata Mangeshkar, Lata Mangeshkar's Felicitation At Udaipur | Patrika News
उदयपुर

Tribute To Lata Mangeshkar : मेवाड़ ने दिया था स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर को ये प्रतिष्ठित सम्‍मान, लोग आज भी नहीं भूले वो दिन

Tribute To Lata Mangeshkar, MMCF Awards स्वर कोकिला लता मंगेशकर की यादों को आज भी जेहन में संजोए है उदयपुर, मेवाड़ के सबसे प्रतिष्ठित हकीम खां सूर सम्मान से नवाजा गया था, उदयपुर में फिल्माई और मील का पत्थर साबित हुई कई फिल्मों के गीत को स्वरबद्ध किया था

उदयपुरFeb 06, 2022 / 11:49 pm

madhulika singh

mmcf_award_lata_mangeshkar.jpg

mmcf award lata mangeshkar

Tribute To Lata Mangeshkar ‘मैं अगर बिछड़ भी जाऊं, कभी मेरा गम न करना, मेरा प्यार याद करके, कभी आंख नम न करना, तू जो मुडक़े देख लेगा, मेरा साया, साथ होगा…’।

भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर के सुरों में सजा ये नगमा अब पूरे देश की आंखें नम कर रहा है। इस नगमे का एक-एक शब्द जैसे सार्थक हो रहा है। वे हम से बिछड़ चुकी हैं, लेकिन उनका साये के रूप में उनकी अनगिनत यादें और उनके गीत देशवासियों के जेहन में हमेशा जिंदा रहेंगे। ये गाना इसलिए भी खास है क्योंकि ‘मेरा साया’ फिल्म की शूटिंग उदयपुर में हुई थी और यहां के लोगों ने ना सिर्फ फिल्म को बल्कि इन गीतों को भी जीया है। वहीं, गायिका लता मंगेशकर के प्रति शहरवासियों का असीम स्नेह भी जुड़ा हुआ है। इतना ही नहीं उदयपुर में स्वर कोकिला को मेवाड़ के प्रतिष्ठित सम्मान से भी नवाजा गया था।
lata_mangeshkar_4.jpg
वर्ष 2002 में नवाजा हकीम खां सूर सम्मान से

महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2002 में 14 अप्रेल,2002 को सिटी पैलेस के माणक चौक में आयोजित अलंकरण व सम्मान समारोह में स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर को प्रतिष्ठित ‘हकीम खां सूर सम्मान’ से सम्मानित किया गया था। समारोह में उन्होंने कहा था कि मेवाड़ की धरती से सर्वोच्च सम्मान पाकर अत्यंत गौरवान्वित हूं। कोई व्यक्ति उम्र से बड़ा नहीं होता, बल्कि उसका काम व्यक्ति को बड़ा बना देता है। इस दौरान उनसे गाना गाने की फरमाइशें भी की गईं थी, लेकिन शहरवासियों की ये इच्छा अधूरी ही रह गई थी। समारोह में मिसाइलमैन एपजीजे अब्दुल कलाम को भी पन्नाधाय सम्मान से सम्मानित किया गया था। इसी समारोह की यादें साझा करते हुए उदयपुर के शिल्पकार वकार हुसैन बताते हैं कि समारोह में उन्हें भी ‘महाराणा सज्जन सिंह सम्मान’ मिला था। वहीं लता दीदी से मिलना हुआ। उनकी सादगी व सरल व्यवहार से वे बहुत प्रभावित हुए। उन्हें अपनी बनाई हुई गणपति की प्रतिमा भेंट की तो उन्होंने उसे माथे से लगाया। यह मुलाकात उन्हें आज भी भुलाए नहीं भूलती। इसके अलावा वर्ष 1992 में उदयपुर में एक शोरूम का उद्घाटन करने भी लता मंगेशकर पहुंची थी।
lata_mangeshkar_in_udaipur.jpg
सारंगीवादक रामनारायण कहते थे- लता की बातों में मेवाड़ी मिठास

इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू के अनुसार, उदयपुर के प्रसिद्ध सारंगीवादक रामनारायण ने लता दीदी की कई शास्त्रीय प्रस्तुतियों में संगत की थी। रामनारायण कहते थे, लता की आंखों में उदयपुर की झीलों जैसी झलक थी, केशों में उदयपुर की घुमावदार घाटियां तो उनकी बातचीत में मेवाड़ी मिठास थी। लता मंगेशकर भी सारंगीवादक रामनारायण की प्रशंसा करते थकती नहीं थी। इसके अलावा मेवाड़ की महारानी मीरा के कई पद लता मंगेशकर ने गाए। वहीं, उदयपुर में फिल्माई गई कई मील का पत्थर बन चुकी फिल्मों जैसे ‘मेरा साया’, ‘गाइड’, ‘मेरा गांव, मेरा देश’, ‘कच्चे धागे’ आदि में सारे गीत लता मंगेशकर ने गाए थे। ‘गाइड फिल्म का ‘कांटों से खींचकर ये आंचल’ और ‘मेरा साया’ का ‘मेरा साया साथ होगा..’, समाधि फिल्म का गीत ‘बंगले के पीछे, तेरी बैरी के नीचे कांटा लगा.. आज भी देशवासियों की जुबां से नहीं हट पाते।

Hindi News / Udaipur / Tribute To Lata Mangeshkar : मेवाड़ ने दिया था स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर को ये प्रतिष्ठित सम्‍मान, लोग आज भी नहीं भूले वो दिन

ट्रेंडिंग वीडियो