——- रमेश माहेश्वरी- बैडमिंटन माहेश्वरी 1989 से बैडमिंटन प्रशिक्षक हैं। माहेश्वरी पाली, अजमेर, बांसवाड़ा, जोधपुर, उदयपुर, जयपुर, झालावाड़ में भी सेवाएं दे चुके हैं। राजस्थान में अब बैडमिंटन बढऩे लगा है। स्पोट्र्स साइंस के बारे में मैंने खिलाडिय़ों को खूब सिखाया। माहेश्वरी ने विभिन्न आयु वर्गों में अब तक 300 से ज्यादा स्टेट खिलाड़ी दिए हैं। विवि से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक 50 से अधिक खिलाड़ी भी वे तैयार कर चुके हैं। व्यक्ति को धर्म के नजदीक ले जाकर उसके अन्दर की आत्मशक्ति को जगाना ही वे खेल मानते हैं।
—– सुनीता भंडारी – बैडमिंटन भंडारी 1991 से प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। अजमेर, जोधपुर, भीलवाड़ा व उदयपुर में रहे हैं। उनका कहना है कि राजस्थान का बैडमिंटन अब बेहतर होता जा रहा है। सरकार हर विजेता को अब एक-एक लाख रुपए देने लगी है। इसे लेकर अब खिलाड़ी खूब मेहनत कर रहे हैं। भंडारी के मार्गदर्शन 3 अन्तरराष्ट्रीय, 20 से अधिक खिलाड़ी नेशनल और 500 स्टेट खेल चुके हैं। भंडारी का कहना है कि बच्चा जन्म से ही प्रतिभाशाली होता है। कुछ देर उसे खेलते देखते ही पता चल जाता है कि इसमें कुछ खास है या नहीं।
—— दिलीप भंडारी – क्रिकेट भंडारी 1991 से प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। भंडारी जोधपुर, डूंगरपुर में काम कर चुके हैं, फिलहाल उदयपुर में कार्यरत हैं। वे कहते है कि राजस्थान का क्रिकेट अच्छा है, प्रतिभाएं हैं, लेकिन अन्तरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले राजस्थान का स्तर फिलहाल कम हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में बदलाव जरूर आया है। यहां पर बेहतर स्थिति यदि बढ़ती है, तो इसका असर निश्चित रूप से अपने खिलाडिय़ों पर नजर आएगा, प्रतियोगिताएं बढऩी चाहिए। भंडारी ने अब तक अपने मार्गदर्शन में 15 स्टेट व पांच नेशनल खिलाड़ी तैयार किए हैं।
—– हिमांशु राजौरा- जूडो राजौरा 2008 से प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत है। एमएलएसयू, भारतीय खेल प्राधिकरण, आकाशवाणी उदयपुर, लखनऊ, बाड़मेर, उदयपुर में वे अपने हुनर को दिखा चुके हैं। वर्तमान में उन्होंने उदयपुर से अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर छह, राष्ट्रीय स्तर के 15 और स्टेट के 25 खिलाड़ी दिए हैं। 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवैल्थ गैम्स में सेवाएं दे चुके हैं। 2018 में भारत में हुई कॉमनवैल्थ चैंपियनशिप में वे स्वयं बतौर खिलाड़ी हिस्सा ले चुके हैं। उनका मानना है कि राजस्थान में जूड़ों का भविष्य उज्जवल है, खिलाड़ी को चाहिए कि वे ज्यादा से ज्यादा अपना समय खेल को दें तो वे निश्चित सफल होंगे।
—— नरपतसिंह -बॉक्सिंग सिंह 2001 से प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। पहले उन्होंने कई खिलाडिय़ों को नि:शुल्क बॉक्सिंग सिखाई। 2012 में सरकारी नौकरी में आए। सिरोही और उदयपुर में सेवाएं दी हैं। उनके प्रशिक्षण में 7 इंडिया कैम्प, 25 राष्ट्रीय और 500 स्टेट के खिलाड़ी पदक ले चुके हैं। हजारों खिलाडिय़ों को उन्होंने बॉक्सिंग सिखाई है। वर्ष 2010-11 में यूथ भारतीय टीम के प्रशिक्षक के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। अन्तरराष्ट्रीय बॉक्सिंग एसोसिएशन आइबा से प्रशिक्षित प्रशिक्षक सिंह का कहना है कि राजस्थान में बॉक्सिंग काफी आगे बढ़ता जा रहा है। वे मानते हैं कि अपना लक्ष्य निर्धारित कर कोई खिलाड़ी मेहनत करेगा तो उसका आगे बढऩा तय है।
—— संजाली पालीवाल- बास्केटबॉल पालीवाल 2016 से कार्यरत हैं। अस्थाई तौर पर काम कर रही हैं। भारत में प्रतिभाएं खूब हैं, जमीनी स्तर पर यदि बेहतर प्रशिक्षक हर जिले को मिल जाए तो हम काफी आगे जा सकते हैं। वे स्वयं नेशनल खेल चुकी है। विवि स्तरीय प्रतियोगिताओं में पदक जीता है। इस छोटे से कार्यकाल में उन्होंने एक खिलाड़ी नेशनल व कुछ खिलाड़ी स्टेट के तैयार किए हैं। वे मानती है कि किसी भी खिलाड़ी को आगे आने के लिए पूरी लगन जरूरी है। पढ़ाई के साथ-साथ इस खेल को खूब समय देना होगा।