संचालकों के लिए
– स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला हो, जिसके आगे-पीछे ‘स्कूलबसÓ लिखा हो। अनुबन्धित बस-ऑटो पर ‘ऑन स्कूल ड्यूटीÓ लिखा होगा। वैन-कैब के पीछे व साइड में 150 मिमी चौड़ाई की सुनहरे पीले रंग की पट्टी पर बाल वाहिनी लिखा हो। – बस-वैन-कैब-ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम व फोन नम्बर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाएगा, ताकि आपात स्थिति में अथवा चालक द्वारा लापरवाही करने की दशा में सूचित किया जा सके। – बस में ड्राइवर का नाम, पता, नम्बर, लाइसेंस, वाहन मालिक का नाम, पता, नम्बर, चाइल्ड हेल्पलाइन, यातायात पुलिस, परिवहन विभाग हेल्पलाइन नम्बर, वाहन पंजीयन नम्बर लिखे हो। ड्राइवर बदलने पर विवरण भी बदला जाए।
– बाल वाहिनियों में कैमरा अनिवार्य रूप से लगवाया जाना जाए। फस्र्ट एड बॉक्स, अग्निश्मन यंत्र, सुझाव पेटी भी लगी हो।
बाल वाहिनी चालक-सहायक के लिए
– बाल वाहिनी चालक और सहकर्मी सभी बालकों के साथ अपनत्व एवं एक समान व्यवहार रखें। – चालक इस बात का ध्यान रखे कि स्वयं का स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक होने की स्थिति में ही वाहन चलाना है। वाहन चलाते समय किसी प्रकार का धूम्रपान, मोबाइल इस्तेमाल नहीं हो। बच्चों के साथ अनुशासन रखे।
– बाल वाहिनी सहायक शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ हो। बालवाहिनी चलाते समय बालकों को उचित स्थान पर बैठाए, उतरने-चढऩे का विशेष ध्यान रखे, बच्चों के झगड़ों को रोकना, अप्रिय घटना को समझदारी से निपटाने का काम करे।
– ऑटो-वैन-कैब-बस के चालक के पास वाहन चलाने का 5 साल का अनुभव हो तथा उसके पास कम से कम 5 वर्ष पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस हो।
विद्यालय प्रशासन के लिए
– बाल वाहिनी में आने वाले बच्चों के 5 अभिभावकों को शामिल करते हुए विद्यालय स्तरीय बालवाहिनी यातायात समिति का गठन किया जाए, जो वाहन चालकों के प्रमाण पत्र की जांच, संबंधी निर्देशों की पालना करने के लिए निरीक्षण करे। – बाल वाहिनी संबंधी सभी सूचना जैसे आरसी, ड्राइवर का नाम, नम्बर, पता, लाइसेंस, वाहन मालिक का नाम-मोबाइल नम्बर आदि को विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जाना जरूरी है। – बाल वाहिनी से आने वाले बच्चों की कक्षावार सूची क्लास टीचर के पास हो। क्लास टीचर सप्ताह में एक दिन बाल वाहिनी में आने वाले बच्चों से समस्या-समाधान के लिए चर्चा कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। संस्था प्रधान रिपोर्ट के आधार पर हर माह बालवाहिनी संचालकों के साथ मीटिंग करेंगे।
– स्कूल प्रबंधन की ओर से उपलब्ध, संचालित बाल वाहिनियों की संख्या से तीन अधिक योग्य चालकों की नियुक्ति की जाए, ताकि किसी चालक के अवकाश पर रहने पर भी बाल वाहिनी का चालन हो सके।
– विद्यालय प्रबंधन सुनिश्चित करेगा कि बाल वाहिनी में उपलब्ध सीट के अनुसार ही बच्चे आवागमन कर रहे हैं। क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को बाल वाहिनी में बैठाने पर विद्यालय प्रबंधन और संचालकों पर कार्रवाई होगी।
– छोटे बच्चों को बाल वाहिनी में आगे की तरफ और सुरक्षित स्थान पर बैठाए जाने को प्राथमिकता देनी होगी। – विद्यालय प्रबन्धन यह सुनिश्चित करेगा कि बाल वाहिनी का संचालन अधिकतम 40 किमी/घंटे की गति से अधिक नहीं हो।
– संस्था प्रधान/सचिव की ओर से सड़क सुरक्षा क्लब से बाल वाहिनी योजना सख्ती से लागू करवाई जाए, जिसमें एक वरिष्ठ शिक्षक यातायात संयोजक के रूप में हो। निर्देशन में क्लब की ओर से बाल वाहिनियों के नियमों की पालना सुनिश्चित की जाएगी।
– विद्यालय प्रबंधन की ओर से बाल वाहिनी योजना संबंधी रिपोर्ट वर्ष के अंत में जिले की स्थाई संयोजक समिति को सुपुर्द करनी होगी, जिसका कलक्टर की अध्यक्षता में गठित यातायात प्रबंधन समिति की ओर से अवलोकन किया जाएगा।
– विद्यालय प्रबंधन की ओर से जिला स्तर पर गठित संयोजक समिति को समय-समय पर संबंधी रिकॉर्ड की समीक्षा करते हुए बाल वाहिनी योजना की पूर्ण पालना के संबंध में प्रमाण पत्र पेश करना होगा।
अभिभावकों के लिए
– विद्यालय प्रबन्धन की ओर से होने वाली पेरेंट्स टीचर मीटिंग में बाल वाहिनियों के सुचारू संचालन के लिए रूबरू चर्चा की जाए। बच्चों को समय पर बाल वाहिनी में बैठाएं, क्योंकि अभिभावकों की लापरवाही से भी परेशानी होती है। स्कूल समय पर पहुंचने में अनावश्यक देरी के कारण चालक समय पर पहुंचने की कोशिश में बाल वाहिनी तेजी से दौड़ाता है।पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी
– बाल वाहिनी योजना के क्रियान्वयन के लिए गठित स्थाई संयोजक समिति का अध्यक्ष का दायित्व पुलिस अधीक्षक का होता है। – संयोजक समिति सम्पूर्ण जिले में शैक्षिक संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को लाने-ले जाने में सभी वाहनों के संबंध में योजना लागू करने और बाल वाहिनी निर्देशों की पालना करवाएगी। – बाल वाहिनी संबंधी अप्रिय घटना होने पर क्षेत्रीय थाने को सक्रिय रहने एवं त्वरित गति से कार्य करने के लिए जिले के सभी थानाधिकारियों को निर्देश दिए जाए। – नियमित रूप से अपने स्तर पर एवं संयुक्त अभियान के द्वारा बाल वाहिनी वाहनों की जांच करवाई जाए।
– सुनिश्चिक करें कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं के आवागमन के लिए बाल वाहिनी परमिट वाले वाहनों का ही प्रयोग किया जा रहा है। – बाल वाहिनियों का समय-समय पर औचक निरीक्षण किया जाना चाहिए।
– मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से बाल वाहिनी के संबंध में जारी निर्देशों में विद्यालय प्रबन्धन द्वारा पूर्ण पालना की जानी चाहिए।