इसके अलावा लोडिंग वाहन के दबाव में आकर ऊंचाई वाले हिस्सों में पुलिया के पत्थर खिसकने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। सडक़ की खास बात यह रही कि बिना किसी कार्ययोजना के तैयार की गई सडक़ का अंतिम छोर लंबी दूरी तक बनी हुई कच्ची सडक़ पर जाकर खत्म हो रहा है। सडक़ केवल स्थानीय विद्यालय को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है। इसके अलावा समीपवर्ती छिछरी आबादी में दूर-दूर तक आवासीय बस्ती का अभाव है। दुर्गम स्थलों पर गारंटी अवधि में खराब हुई सडक़ की मरम्मत को लेकर विभागीय स्तर पर अधिकारी केवल मौन साधे हुए हैं। बिखरी गिट्टी खतरा केवल एक साल में ही सडक़ पर डामर के साथ बिछाई गई गिट्टी मूल स्थान छोड़ चुकी है।
इससे दुपहिया वाहनों के फिसलन का संकट बढ़ गया है। पुलियाओं के किनारे सडक़ के मूल हिस्से में मिट्टी के ढेर के अंबार जमा हैं। कुछ ऊंचाई पर दो पहाड़ों के बीच बनाई गई बड़ी पुलिया के किनारे कमजोर चुनाई के चलते दरारों में तब्दील हो चुके हैं। पुलिया में बरसाती पानी निकासी के लिए लगाए गए पाइप जोइंट छोडक़र तडक़ गए हैं। सडक़ का अंतिम छोर आगे जाकर कच्चे रास्ते पर मिल रहा है, जहां आवागमन को लेकर वाहन सवार हिम्मत नहीं जुटाते। गौरतलब है कि १० जुाई २०१७ को इस सडक़ का शुभारंभ सांसद अर्जुनलाल मीणा ने किया था। बतौर अतिथि जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, विधायक प्रतापलाल गमेती, प्रधान पुष्कर तेली, उपप्रधान पप्पूराणा भील, भाजपा मंडल अध्यक्ष प्रकाश पुरोहित, भजपा मंडल अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह झाला, नानालाल गमेती ने कार्यक्रम में उपस्थिति दी थी।
बोलती हुई हकीकत सडक़ का नाम: पाटीया-निचलाखेड़ा किलोमीटर पैकेज नंबर: आरजे-३२-२१५ योजना में स्वीकृत राशि: ४९.५९ लाख ठेका कंपनी: मेसर्स महादेव कन्स्ट्रक्शन कंपनी, जोधपुर कार्यादेश राशि: ३६.७८ लाख कार्य प्रारंभ तिथि: १ अक्टूबर २०१६ कार्य पूर्ण होने की तिथि: ३१ मई २०१७ जिम्मेदारी अधिकारी: पीडब्ल्यूडी (डिवीजन-२) के अधिशासी अभियंता सीआर प्रेमी दिए हैं निर्देश सडक़ गारंटी अवधि में है।
सडक़ की हालत को देखकर मैंने ठेका कंपनी को इसमें सुधार के निर्देश दिए हैं। इस बारे मे पत्र भी लिख दिया है। नटवरसिंह डामोर, सहायक अभियंता, गोगुंदा