उदयपुर. शहर सहित जिले में रविवार को कहीं तेज तो कुछ स्थान पर हल्की बरसात हुई। बरसात के बाद उमस और बढ़ गई। हालांकि रविवार को अधिकतम तापमान में 1.7 डिग्री की कमी आई। शनिवार शाम से शुरू हुआ बरसात का दौर रुक-रुक कर जारी रहा। मौसम विभाग के अनुसार शहर में शाम तक 9.4 मिमी बरसात दर्ज हुई। एक पखवाड़ा के बाद हुई बरसात से किसानों के चेहरे पर रौनक आ गई है। कुछ स्थानों पर बरसात के साथ तेज हवा से फसल आड़ी गिरने नुकसान भी हुआ। शहर में सवेरे से ही रुक-रुक कर खंडित बरसात का दौर चला। बीच-बीच में तेज धूप खिली।
जिले के सलूम्बर, कानोड़, लूणदा, डबोक सहित कई स्थानों पर दिन भर खंडित बरसात होती रही। मौसमविद्व प्रो. नरपत सिंह राठौड़ ने बताया कि महराष्ट्र में बने अपदाब से मेवाड़ में मानसून का पांचवां दौर सामान्य व खंडीय बारिश वाला रहेगा।
अदवास. मेवल क्षेत्र के अदवास, जावद, सेमाल, नईझर, केवड़ा, ओड़ा पलोदड़ा एवं अमरपुरा ग्राम पंचायतो के गांवों में बीती रात हुई बारिश से फसलों को जीवनदान मिला। वहीं तेज हवा के कारण कई गांवों में खड़ी फसल आड़ी होने से नुकसान का अंदेशा है। इधर विश्वप्रसिद्ध जयसमंद झील दो साल में दूसरी बार ओवरफ्लो से मात्र साढ़े तीन फीट दूर है
बिजली गिरने से महिला की मौत, बालिका झुलसी सेमारी (उदयपुर). तहसील की चंदौड़ा पंचायत के सगतपुर गांव में रविवार अपराह्न तीन बजे खेत में बिजली गिरी। बकरियां चरा रही मीरा पुत्री बद्रीलाल मीणा व हकरी पुत्री हुरमा मीणा गंभीर जख्मी हो गईं। परिजन पहुंचे, तब दोनों बेहोश पड़ी थीं। इन्हें सेमारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया, जहां मीरा को मृत घोषित कर दिया गया। हकरी को प्राथमिक उपचार के बाद उदयपुर रेफ र किया गया।
मेवल क्षेत्र के कई खेतों में फसलपड़ी आड़ी गींगला. बीती रात मेवल क्षेत्र में बारिश से जहां मक्का, ज्वार और बाजारा की मुरझाती फसल को नया जीवन मिला, वहीं अंधड़ से कई खेतों फसल आड़ी भी पड़ गई। एक पखवाड़े से पानी नहीं बरसाने के कारण फसलें देख किसान मायूस होने लगे थे। बारिश से रौनक लौटी तो फसल आड़ी पडऩे से कुछ निराशा भी हुई।
ग्रामीणों ने तालाब को फूटने से बचायाझल्लारा. बीती रात के बाद दिनभर रुक-रुक कर पानी बरसता रहा। दो-तीन बार मध्यम-तेज दर्जे की बारिश भी हुई। घटेड़ पंचायत में 34 फीट भराव क्षमता वाले मदार का नाका तालाब की पाल में सूराख हो गया। एसकैवेटर मशीन के साथ ग्रामीणों की मदद से मिट्टी का भराव किया। रेती के बैग रखकर सूराख बंद किया गया। तब जाकर ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली।