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उदयपुर

‘रईस’ ने खोले उदयपुर में शराब तस्करी के राज, जानने के लिए पढ़े ये खबर

गुजरात कहने को तो मद्य निषेध राज्य है लेकिन वहां तस्कर शराब का ही व्यापार कर चांदी काट रहे हैं।

उदयपुरFeb 07, 2017 / 12:17 pm

madhulika singh

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गुजरात कहने को तो मद्य निषेध राज्य है लेकिन वहां तस्कर शराब का ही व्यापार कर चांदी काट रहे हैं। हरियाणा-गुजरात वाया राजस्थान शराब तस्करी के बरसों से चल रहे इस खेल में उदयपुर सबसे महत्वपूर्ण के साथ मुफिद स्थल रहा है। यहीं से बॉर्डर पार होकर शराब के ट्रक गुजरात में प्रवेश करते हैं। हाल ही रिलीज शाहरूख खान अभिनीत फिल्म ‘रईस’ में भी कहानीकार ने शराब तस्करी के इस खेल में उदयपुर को रेखांकित किया है। 
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वर्षों से चल रहे शराब तस्करी के इस काले कारोबार में राजस्थान व गुजरात दोनों राज्यों के जिम्मेदार महकमों की पोल खोल कर रख दी है। हालांकि वर्तमान में पुलिस व आबकारी विभाग की सख्ती के कारण तस्करी काफी हद तक रुकी है लेकिन अब तक होते रहे इस कारोबार को आमजन ने पर्दे पर खुले रूप से देख लिया। 
हकीकत जानकर भी अनजान 

शराब कारोबारियों का कहना है कि फिल्म में बताए कारनामों की तरह ही अब तक सब मिलीभगत रही है। इस मार्ग पर विभाग ने अवैध शराब के बड़ी संख्या में ट्रक पकड़े लेकिन कुछ ट्रक खुद तस्करों ने विभाग को सुपुर्द कर उनके नम्बर बढ़वाए हैं। इसकी आड़ में महंगी ब्राण्ड की शराब व कई ट्रकों को आसानी से बॉर्डर पार किया गया। यही कारण है कि दोनों ही राज्यों की सरकारों को इसके बारे में पता होने के बावजूद बॉर्डर पर आज तक तस्करी को रोकने के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। उदयपुर जिले में पुलिस कप्तान के बदलने के बाद हर बार नए रंग देखने को मिले, किसी ने सख्ती बरती को किसी ने नजर अंदाज भी किया।
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हरियाणा की सस्ती है शराब 

पूर्व में शराब तस्कर गुजरात में राजस्थान की शराब की तस्करी करते थे लेकिन राज्य में पॉलिसी बदलने व अपेक्षाकृत शराब महंगी होने से हरियाणा की शराब गुजरात पहुंचती है। वर्तमान में 750 किलोमीटर की दूरी तय कर सर्वाधिक शराब उदयपुर-अहमदाबाद हाई-वे होकर गुजरात जाती है। इस मार्ग पर धरपकड़ होने पर तस्कर उदयपुर-पिण्डवाड़ा वाया अम्बाजी तथा कोटड़ा मार्ग से गुजरात में प्रवेश कर जाते हैं। शराब तस्करी के इस पुराने खेल में अब तक असंख्य ट्रक पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा पकड़े जा चुके हैं लेकिन यह तस्करी बदस्तूर जारी है।
हर बार अपनाए जाते हैं नए पैंतरे 

-ट्रकों में माल के नीचे शराब कर्टन छिपाना, वर्तमान में ट्रकों व बसों में विशेष केबिन बनाए गए। 

-तस्करों ने ट्रकों पर जीपीएस सिस्टम के साथ ही एस्कोर्ट भी लगाई। धरपकड़ की सूचना पर एस्कोर्ट गाड़ी को पूर्व में ही रोककर माल सुरक्षित पहुंचाते रहे हैं।
-चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा से माल भरकर दिल्ली लाया जाता है। चालक को राजस्थान बॉर्डर पार करने का अतिरिक्त बोनस दिया जाता है। 

-हरियाणा से दिल्ली, राजस्थान व गुजरात तक हर बॉर्डर पर चालक की अदला-बदली भी की जाती है। 
-हर बॉर्डर पर फर्जी नम्बर प्लेट बदलने का खेल भी चलता रहा है।

-धरपकड़ पर ट्रकों को राजस्थान बॉर्डर के आसपास के गांवों में खाली किया जाता है। यहां से छोटी लग्जरी गाडिय़ों में माल भेजा जाता है। फिल्म में इसका भी खुलासा किया है। 
-शराब धरपकड़ में कई पुलिस कर्मी व आबकारी के सम्मानित हुए तो कई मिलीभगत में निलंबन के साथ ही नौकरी भी खो बैठे।

-हरियाणा में अभी भी खुली पॉलिसी से नीलाम होती है शराब। राजस्थान में पॉलिसी के अनुसार हर वर्ष होते है बदलाव।

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