रोडवेज के इस कारनामे का जब व्यापारियों का पता चला तो उन्होंने विरोध किया। उनका कहना है कि यह जमीन बेशकीमती होकर अच्छी लोकेशन पर है। सात हजार स्क्वायर फीट पर अगर रोडवेज महज 10 बड़ी दुकानें भी बनाए या केबिन रखे तब भी प्रतिमाह अच्छी कमाई कर सकता है। ठेकेदार को देने पर उसके दुकानें बनाने या केबिन की संख्या भी तय नहीं है। वह जगह के हिसाब से कई दुकानें बनाकर किराया देकर अच्छी कमाई कर निकल जाएगा। रोडवेज प्रबंधन अगर इस जगह का प्रचार प्रसार कर बीओटी के आधार पर इसे दे तब भी ज्यादा कमाई कर लेगा।
प्रतिमाह बढ़ते ही जाएंगें पर्यटक व शहरवासी
रोडवेज प्रबंधन इस फूड कॉर्नर को 24 घंटे खुले रखने की छूट दे रहा है। इस छूट से शहर में नाइट बाजार नहीं होने पर शहरवासियों के साथ ही पर्यटकों की भीड़ बढ़ेगी। उदयपुर से अहमदाबाद बॉडग्रेज होने से ट्रेनें भी काफी आएगी। निश्चित रूप से यह फूड कॉर्नर काफी कमाई देगा फिर भी रोडवेज इसे औने-पौने दामों में देने में तुला है।
रोडवेज ने कैसे लगाई गणित
● फूड कॉर्नर के लिए प्रस्तावित यह जगह मुख्य चौराहे पर है, अभी यहां एक दुकान की कीमत भी काफी है।
● 10 गुना 15 की साइज का भी एक केबिन बने तो 7 हजार स्क्वायर फीट पर 40 से 45 दुकानें बनती
● पूर्व में चल रही दुकानों के किराए से करीब 12 से 15 हजार रुपए प्रतिमाह आय
● 40-45 दुकानों का किराया इस दर से भी मानें तो प्रतिमाह रोडवेज को मिलेंगे- 6-7 लाख
● रोडवेज अभी महज दे रहा 2.50 लाख प्रतिमाह में
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फूड कॉर्नर की सात हजार स्क्वायर फीट जमीन को ठेके पर दे रहे हैं। रोडवेज यहां दुकानें बनाने का पैसा खर्च नहीं कर सकता। ठेके पर देगा तो उसके खाते में सीधा 2.50 लाख रुपए आएगा। अभी 10 से 15 साल का ठेका देने के लिए राज्य मुख्यालय फाइल भिजवाई है।-हेमंत शर्मा, मुख्य प्रबंधक उदयपुर आगार