उदयपुर

उदयपुर में अनाड़ी कार्मिकों के हवाले ठेके के सब ग्रिड स्टेशन, छठी और आठवीं पास संभाल रहे विद्युत आपूर्ति

गांवों की हालत और खराब

उदयपुरJun 16, 2019 / 01:24 pm

Bhagwati Teli

Electricity cut in Anta

उदयपुर. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की ओर से कुछ वर्षों से सब ग्रिड स्टेशन (जीएसएस) ठेके पर दिए जा रहे हैं, जहां पर नियम विरुद्ध छठी और आठवीं कक्षा पास लोगों को लगा रखा है। इनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने विद्युतकर्मियों के साथ कुछ समय काम किया था और आज पूरा जीएसएस संभाल रहे हैं। जीएसएस पर लगे कार्मिकों को बिजली के संबंध में पूरी जानकारी नहीं होने से कभी भी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है। पत्रिका टीम ने शनिवार को जब शहर के जीएसएस की पड़ताल की तो कई तथ्य उजागर हुए।
जीएसएस के ठेके लिए गत अप्रेल में नए टेंडर किए गए थे। जिले में करीब 62 टेंडर निकाले गए थे और 30 से 35 जीएसएस ठेके पर दिए गए। अन्य जीएसएस को ठेके पर देना बाकी है। प्रत्येक जीएसएस 27 हजार 500 रुपए प्रतिमाह पर ठेके पर दिए गए हैं। इस राशि में ठेकेदार को सुरक्षा उपकरणों के साथ ही चार व्यक्ति प्रति जीएसएस लगाने हैं। डिग्रीधारी कार्मिक वेतन अधिक मांगते हैं। ऐसे में ठेकेदार नियम विरुद्ध कम पढ़े-लिखे लोगों को जीएसएस पर लगा देता है। इन कार्मिकों के पास न तो नियुक्ति पत्र है और ना ही इनकी हाजरी का कोई प्रावधान है। कई जगह एक कर्मचारी 24 घंटे काम संभाल रहा है। यह स्थिति तो शहर की है। ग्रामीण क्षेत्र में तो हालात और भयावह होंगे।
ठेकेदार के जिम्मे हैं ये काम
27 हजार 500 रुपए मासिक पर ठेकेदार को प्रत्येक जीएसएस पर चार कार्मिक नियुक्त करने हैं। प्रति दिन तीन शिफ्ट में एक-एक कार्मिक और एक रिलीवर होना चाहिए। कार्मिकों का वेतन, जीएसएस का रखरखाव, कार्मिकों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाना, कार्मिकों का बीमा, पीएफ, ईएसआई में नाम दर्ज करना उसका दायित्व है। इन नियमों को ताक पर रखकर जीएसएस संचालित किए जा रहे हैं।
मौन स्वीकृति
ऐसा नहीं है कि ठेकेदारों की इस कारस्तानी के बारे में निगम के अधिकारियों को जानकारी नहीं। अधिकारियों और कार्मिकों ने बताया कि निगम में गिनती के कर्मचारी बचे हैं। ऐसे में ठेके पर दिए गए जीएसएस को लेकर सख्ती की जाती है, तो इन्हें चलाना भारी पड़ेगा।
भारी पड़ेगी ठेकेदारों की प्रतिस्पर्धा
ठेका उठाने की होड़ में ठेकेदार कम राशि भर देते हैं। ऐसे में इस राशि में डिग्रीधारी कर्मचारियों की भर्ती एवं अन्य व्यवस्थाएं करना मुश्किल होता है। निगम के लाभ को देखते हुए बड़े अधिकारी भी इस व्यवस्था को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
दुर्घटना पर ठेकेदार मना कर दे तो…
पत्रिका टीम ने जब पूछताछ की तो पता चला कि इन कार्मिकों को नियुक्ति पत्र नहीं देने के पीछे ठेकेदार की मंशा कुछ और है। हादसा होने की स्थिति में ठेकेदार घायल और मृतक कर्मचारी को अपना मानने से इनकार कर देते हैं। इससे पूर्व भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।
दिया जाता है सब कॉन्ट्रेक्ट
जीएसएस संभालने के लिए ठेकेदार सब कॉन्ट्रेक्ट कर देता है। इसके तहत दस से लेकर पंद्रह हजार प्रतिमाह बांध दिए जाते हैं। इस स्थिति में ऐसे व्यक्ति ही जीएसएस संभालते हैं तो कम पढ़े-लिखे हैं और बिजली के बारे में थोड़ा-बहुत जानते हैं।

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