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उदयपुर

पलाश के फूलों से सज गए मेवाड़ के जंगल

मौसम में बदलाव का संकेत

उदयपुरFeb 22, 2021 / 06:14 pm

surendra rao

Mewar forest decorated with palash flowers

पलाश के फूलों से सज गए मेवाड़ के जंगल

सलूम्बर. (उदयपुर). सलूंबर सराडा के अरावली पर्वत श्रृंखला में जंगल की ज्वाला, पलाश, ढाक और खाखरा, टेसू, जैसे आदि इस वृक्ष के अन्य खुबसूरत हिन्दी नाम से विख्यात विज्ञान-जगत में पलाश के वृक्ष ब्यूटिया मोनोस्परमा वानस्पतिक नाम से प्रसिद्ध हैं। इसकी संयुक्त पत्तियों में तीन पर्णक होते हैं इसीलिए जनसामान्य के बीच ढाक के तीन पात कहावत भी इसके बारे में बहुत प्रसिद्ध है। वनों में पलाश के सुंदर लाल-नारंगी पुष्पों से लदे पेड़ों के झुंड ऐसे प्रतीत होते हैं मानों वहां पर अग्नि ज्वाला दहक रही हो और जंगल जल रहा हो जिस कारण इसे जंगल की आग तथा फ्लेम आफ दी फारेस्ट जैसी ढेर सारी उपमाएँ प्रदान की गयी हैं। ढाक के वृक्षों में प्राकृतिक पुनर्जनन की विशिष्ट क्षमता बेहद ज्यादा होती है।
बसंत से ग्रीष्म ऋतु तक, जब तक पलाश में फूलों से सुशोभित होने पर उसे सभी निहारते हैं। मगर बाकी के आठ महीनों में कोई उसकी तरफ देखता भी नही है।
खाखरे के पत्तों से बने पातल व दोन्ने में जीमण में भोजन करने का अपना अलग ही स्वाद रहा है, वक्त के साथ ही कागज और प्लास्टिक से धीरे -धीरे इनका उपयोग भी कम हो गया है।
हितेष श्रीमाल (प्रकृति और पंछी -मित्र ) के अनुसार पलाश के सौंदर्यपूर्ण लाल रंग के पुष्पों से इस समय प्रकृति का दृश्य और भी सौंदर्य पूर्ण हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस वक्त ढाक के फूलों की रंगीली बहार छायी हुयी है। अपने सुर्ख लाल रंग के मनोरम सौन्दर्य से मानव-नेत्रों को अनन्त सुख प्रदान करते हुए ये टेसू के फूल हर प्रकृति प्रेमियों के बीच सूर्खियों में बने हुए हैं।

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