आदिवासियों की चिकित्सा पद्धति दर्जनों बीमारियों का कम खर्च में उपचार किया जा सकता है। गौरतलब है कि पूर्व राज्यपाल मारग्रेट आल्वा के घुटनों का गुणीबाई ने सफल उपचार किया जबकि चिकित्सकों ने उन्हें दोनों घुटनों का ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी।
2013 के बाद नहीं हुआ प्रकाशन टीआरई का प्रमुख कार्य आदिवासी कला, संस्कृति, ज्ञान आदि पर विशेष शोध कर इसका संरक्षण करना है। टीआरआई की वेबसाइट को सही मानें तो २०१३ के बाद टीआरआई की ओर से कोई प्रकाशन भी नहीं किया गया है। कोटड़ा, झाड़ोल, फलासिया, गोगुंदा, सलंूबर क्षेत्र में पूर्व में काफी संख्या एेसे आदिवासी समुदाय के लोग थे, जो जड़ी- बूटियों से विभिन्न बीमारियों के उपचार की विशेष जानकारी रखते थे। यह उपचार काफी वैज्ञानिक है। आयुर्वेद के समकक्ष इस चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन नहीं मिलने से गुणीजन कम हो रहे हैं। कई निजी संस्थाएं इन गुणीजनों के ज्ञान से लाखों रुपए कमा रही हैं।