महाकाल मंदिर की विशेषता
महाकालेश्वर का मंदिर फतहसागर झील के किनारे बना हुआ है। कहते हैंं कि मंदिर नगर स्थापना से भी पुराना है। करीब नौ सौ साल पुराना एकलिंग जी के समकालीन का मंदिर है। बताते हैंं कि महाकालेश्वर स्वयंभू (स्वयं प्रकट) हुए हैं और यहां पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माना जाता है कि जहां भी स्वयंभू शिवलिंंग होते हैं वहां पूजा-अर्चना और लोगों की मान्यता के साथ-साथ में अमिट पुण्यदायी और फलदायी होते हैं।
READ MORE : video: भोले के द्वार उमड़ेंगे भक्त, उदयपुर में शिवरात्रि को लेकर सजने-संवरने लगे शिवालय इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि सवेरे मंगला,मध्याह्न,सायंकाल और रात्रि को चारों समय शिवलिंग के विग्रह के जो दर्शन होते हैं अलग-अलग स्वरूप के होते हैं और चारों समय महाकालेश्वर अलग -अलग रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।
मंगला दर्शन के समय विग्रह बाल स्वरूप में व शिवलिंंग वर्ण का रंग श्वेत वर्ण होता है। मध्याह्न में युवा विग्रह के दर्शन स्वरूप में व शिवलिंंग वर्ण का रंग गहरा होता है।
सायंकाल में पूर्ण रूप विग्रह स्वरूप में व शिवलिंंग वर्ण का रंग महाकाल होता है।
रात्रि में वृद्व विग्रह के दर्शन स्वरूप में व शिवलिंंग वर्ण का रंग महाकाल वास्तविक रूप में होता है। चारों समय शिवलिंग का रंग भी अलग अलग स्वरूप में होता है।