इस तरह से चल रहा जमीनों का खेल
भूमाफिया कृषि भूमि को सस्ते दामों में खरीदते हैं ताकि रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प शुल्क कम लगे, जबकि आवासीय और व्यवसायिक उपयोग के लिए रजिस्ट्री कराने में ज्यादा स्टाम्प शुल्क जमा करना पड़ता है।
आसपास के क्षेत्र में खातेदारी पहाड़ को ढूंढकर दलाल उन पर निवेश करते हैं। बाद में उन्हें बाहरी निवेशकों को लोकेशन के अनुसार बेचते हैं।
कृषि भूमि को आवासीय या व्यावसायिक भूमि में परिवर्तन करवाने की प्रक्रिया धारा 90ए के तहत की जाती है। इसके तहत 90ए की प्रक्रिया करने वाली संस्था के नाम जमीन स्थानांतरित हो जाती है। उसके बाद पट्टा जारी होता है, लेकिन दलाल पहले कॉलोनियां काटते हैं। बाद में 90 ए की प्रक्रिया शुरू करते हैं। इसके लिए धन भी खरीदारों से ही जुटाते हैं।
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इन इलाकों में सक्रिय भूमाफिया
नियमों के विपरीत अधिकतर अवैध कॉलोनियां शहर के चीरवा, पुरोहितों का तालाब, रामा, गोगुन्दा, इसवाल, पिंडवाड़ा हाईवे व उसके आसपास के गांव, देबारी, कानपुर, डाकनकोटड़ा, तितरड़ी, फांदा, उमरड़ा, झाड़ोल मार्ग, नाई, बूझड़ा, सीसारमा, उभेश्वर, बड़ी, वरड़ा, मदार, थूर, कविता, बडग़ांव आदि में कट रही हैं। सलूम्बर-जयसमंद मार्ग व पिंडवाड़ा हाईवे से लगते अलग-अलग गांव में दलालों ने कई जगह पहाड़ियों को छलनी कर कॉलोनियां काट दी गई हैं।