—- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के मुख्य कार्य – राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के तहत चिकित्सा संस्थानों के स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा के संचालन, मूल्यांकन और मान्यता प्राप्त करने और चिकित्सकों के पंजीकरण के लिए चार स्वायत्त बोर्डों के गठन का प्रावधान है।- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की संरचना, इसमें सरकार द्वारा मनोनीत अध्यक्ष और सदस्य होंगे, बोर्ड के सदस्यों का चयन कैबिनेट सचिव के तहत एक खोज समिति द्वारा किया जाएगा। आयोग में पांच निर्वाचित और 12 पदेन सदस्य होंगे।
– निजी मेडिकल कॉलेजों में 40 प्रतिशत सीटों तक के लिए दिशानिर्देश तय कर सकती है। विधेयक में एक सामान्य प्रवेश परीक्षा और लाइसेंस प्राप्त परीक्षा का भी प्रावधान है। जो मेडिकल स्नातकों को पीजी पाठ्यक्रमों का अभ्यास करने से पहले पास करना होता है। एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा में अर्हता अनिवार्य होता है, अब इससे पहले कि छात्र एमबीबीएस करके प्रेक्टिस शुरू करें, उन्हें अब एग्जिट परीक्षा पास करनी होगी।
– मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थानों को अधिक सीटें जोडऩे या पीजी कोर्स शुरू करने के लिए नियामक की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। – मेडिकल कॉलेजों को स्थापना, मान्यता, वार्षिक अनुमति के नवीकरण या डिग्री की मान्यता के लिए एमसीआई की मंजूरी की आवश्यकता थी। यहां तक कि उनके द्वारा दाखिल किए गए छात्रों की संख्या में भी वृद्धि हुई। अब नियामक की शक्तियां स्थापना और मान्यता के सम्बन्ध में कम हो जाती हैं।
—— विदेश से पढ़कर आए डॉक्टरों की तर्ज पर अब सभी छात्रों को पे्रक्टिस लाइसेंस के लिए टेस्ट देना होगा। यह परीक्षा अभी तक विदेश में पढ़कर आए डॉक्टरों को ही देनी होती थी लेकिन इस आयोग अनुसार अब देश में पढ़ाई करने वाले डॉक्टर इस एग्जिट परीक्षा को पास करते हैं तभी उन्हें मेडिकल प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। चिकित्सा क्षेत्र में स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए मेडिकल छात्रों को राहत देते हुए नीट पीजी को खत्म करने का भी प्रस्ताव किया है, जिसमे एमडी और एमएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एमबीबीएस की अंतिम वर्ष की एग्जिट परीक्षा ही काफ ी होगी।