—– प्रधानाध्यापक प्रवेशिका के 100 पद, प्राध्यापक के 152 पद, वरिष्ठ अध्यापक के 177 पद, अध्यापक के 226 पद, शारीरिक शिक्षक ।।। ग्रेड के 60 पद, पुस्तकालयाध्यक्ष ।।। ग्रेड के 31 पदों एवं कनिष्ठ सहायक के 131 पदों पर भर्ती नहीं हुई है, तो प्रधानाचार्य, वरिष्ठ उपाध्याय, प्रधानाध्यापक, प्रवेशिका, प्राध्यापक विभिन्न विषय एवं वरिष्ठ अध्यापक पदोन्नति के रिक्त पदों की पूर्ति फिलहाल अटकी हुई है।
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फिर भी कहां मिला संबंल संस्कृत शिक्षा निदेशालय की स्थापना का मूल उद्देश्य संस्कृत एवं संस्कृत भाषा को संरक्षण एवं संवद्र्धन प्रदान करना है। संस्कृत शिक्षा विभाग के राजस्थान संस्कृत शिक्षा राज्य एवं अधीनस्थ सेवा, विद्यालय शाखा नियम 2015 बनाये गये। पुन: राजस्थान संस्कृत शिक्षा राज्य एवं अधीनस्थ सेवा, विद्यालय शाखा, संशोधनद्ध नियम 2018 बनाये गये। संशोधन नियमों में प्रधानाचार्य, वरिष्ठ उपाध्याय एवं प्रधानाध्यापक, प्रवेशिका के सीधी भर्ती, पदोन्नति के पदों हेतु योग्यता में संशोधन किया गया। फिर भी स्कूल-कॉलेज खाली पड़े हैं। ——-
ये योजनाएं नहीं उतरी धरातल पर-पैसे की कमी से हो गई फाइलों में बंद… – गत सरकार द्वारा राज्य में शास्त्रों के संरक्षण एवं प्रदेश में उपलब्ध संस्कृत विद्वानों के ज्ञान से युवा पीढी व जन-सामान्य को लाभान्वित कराने के उद्देश्य से अनौपचारिक शास्त्र शिक्षण केन्द्र योजना प्रस्तावित की गई थी।- जन सामान्य को भारत की समृद्ध संस्कृति से अवगत कराने के लिए सांध्य विद्यालय प्रारंभ किये जाने की योजना बनाई गई थी।
—- ये कार्ययोजना भी कागजों में: – विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए महाविद्यालयों में नि:शुल्क शिक्षण केन्द्र संचालन – विद्यालय के विभिन्न ग्रेड के 715 पदों के लिए अर्थना लोक सेवा आयोग को भेजना – राज्य सरकार की ओर से तय नीति के अनुसार संस्कृत स्कूलों में नवीन पदों का सृजन- राज्य संस्कृत शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान महापुरा को विकसित व समृद्ध कर शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा – संस्कृत शिक्षा के स्कूलों को शाला दर्पण से जोडऩा – गत वर्ष मर्ज किए गए 305 प्राथमिक व 32 उच्च प्राथमिक स्कूलों को नीतिगत मांग व जरूरत के आधार पर खोलने के प्रस्ताव बनाना। – प्रदेश में वैदिक संस्कार व शिक्षा बोर्ड का गठन
—– ये है, रिक्त पदों के हाल प्रदेश में सभी जिलों में कुल 10890 शिक्षकों के स्वीकृत पदों में से 3625 पद रिक्त पड़े हैं। सर्वाधिक रिक्त पदों वाले ये हैं जिले जिला- स्वीकृत पद- रिक्त पद
जयपुर- 1754-1548-208 बाड़मेर- 405-126-279 सीकर- 780-589-191 चित्तौडगढ़़- 287-102-185 जोधपुर- 375-198-179 भीलवाड़ा- 364-188-178 नागौर-452-283-169 उदयपुर- 319-159-160 ——- संभाग- संचालित स्कूल- संचालित कॉलेज जयपुर- 495-14 भरतपुर- 170-04
उदयपुर- 219-04 बीकानेर-245-03 जोधपुर-251-01 कोटा- 129-02 अजमेर- 257-02- — इतने विद्यार्थियों का भविष्य है संस्कृत शिक्षा वर्तमान में सभी संभागों में हजारों विद्यार्थियों का भविष्य संस्कृत शिक्षा है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, प्रवेशिका, वरिष्ठ उपाध्याय के इतने विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। प्रदेश में संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन 1797 राजकीय एवं 496 अराजकीय विद्यालय, महाविद्यालय संचालित है।
जयपुर- 41327अजमेर-16903उदयपुर- 15483कोटा- 11198जोधपुर- 15127- — राज्य सरकार के बदलने के बाद पिछली योजनाओं की समीक्षा की जाती है, संस्कृत के नजरिए से ये योजनाएं अच्छी है। यदि इनकी शुरुआत होती है तो उसका फायदा मिलेगा। प्रदेश में वर्तमान में संचालित स्कूलों में शिक्षकों की सर्वाधिक जरूरत है। रिक्त पदों की पूर्ति होनी ही चाहिए। डीपीसी के जो रिक्त पद है सरकार जल्द ही उन्हें भरने जा रही है। विष्णुकुमार शर्मा, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी अजमेर —–