फॉइल पेपर की शक्ल में बाजार में आया खतरनाक चमकीला प्लास्टिक
शहर में ऑनलाइन फूड डिलीवरी बिजनेस में सेहत की अनदेखी, नामी कम्पनियों से जुड़े रेस्टोरेंट प्लास्टिक में पैक कर दे रहे गर्म खाना
उदयपुर. सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के सरकार के लाख दावों के बावजूद शहर में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। अब तो जिम्मेदारों की आंखों में धूल झोंकने के लिए ऑनलाइन फूड डिलीवरी बिजनेस कर रहीं नामी-गिरामी कम्पनियां चमकीले प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रही हैं।
शहर में दर्जनों रेस्टोरेंट्स ऑनलाइन ऑर्डर पर खाने-पीने की चीजें घर-घर पहुंचा रहे हैं। इनमें कोई प्लास्टिक की डिश में भोजन परोस रहा है, तो कोई प्लास्टिक की थैलियों में गर्म खाना पैक कर रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर सख्ती होने के बाद अब रेस्टोरेंट संचालकों ने दाल, सब्जी और अन्य तरल व ठोस खाद्य पदार्थ पैक करने के लिए फॉइल पेपर की शक्ल में चमकीली थैलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन थैलियों को रिसाइकल्ड प्लास्टिक से तैयार किया जाता है।
– कम्पनियां पैसा कमा रही, ग्राहकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
रेस्टोरेंट्स से घर-घर तक ऑनलाइन फूड डिलीवरी के इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। ऑनलाइन भोजन उपलब्ध करा रही कम्पनियों के मोबाइल एप पर आपके शहर व आसपास स्थित रेस्टोरेंट्स के भोजन मीनू, हरेक खाद्य पदार्थ की दर उपलब्ध करा रही है। रेस्टोरेंट्स, मूीन का ऑप्शन चुनने के बाद जब ग्राहकों को तय समय में ऑर्डर किए भोजन की डिलीवरी मिलती है, तो वह प्लास्टिक की थैलियों या रिसाइकल्ड प्लास्टिक-ट्रे में मिलता है। ये कम्पनियां खुद भोजन नहीं बनातीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर स्थित रेस्टोरेंट्स से अनुबंध करके उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर उपलब्ध करवाती हैं और बदले में कमिशन लेती हैं।
– दरें भी रेस्टोरेंट से ज्यादा
हाल ही में एक ऑनलाइन फूड डिलीवरी बिजनेस कम्पनी ने अपने बयान में यह भी स्वीकार किया था कि उनके द्वारा उपलब्ध करवाए भोजन की दरें, सम्बंधित रेस्टोरेंट पर जाकर खाने पर दिए जाने वाले बिल से ज्यादा हैं। हालांकि सभी रेस्टोरेंट पर ऐसा नहीं होता, लेकिन ऑनलाइन दरें ज्यादा होना मंजूर किया था।
– सेहत से खुला खिलवाड़
प्लास्टिक के बर्तनों में खाना पैक करने और खाने को लेकर चिकित्सा विज्ञानी लगातार चेताते रहे हैं। कई अनुसंधानों में यह सामने भी आया है कि कैंसर जैसा खतरनाक रोग पनपने का यह भी एक कारण हो सकता है। देश के हर इलाके में कैंसर रोगी लगातार बढ़ते जा रहे हैं, फिर भी खाने में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रभावी रोक अभी तक नहीं लगाई जा सकी है।
– क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक
हमारी रोजाना की जरूरत की चीजों में एक ही बार में इस्तेमाल करने के बाद हम जिस प्लास्टिक उत्पाद को डस्टबिन में फेंक देते हैं, वह सिंगल यूज प्लास्टिक है। मसलन, पैक्ड व खुले दूध की थैलियां, चाय के डिस्पोजेबल कप, बाजार से सब्जी-फल व अन्य चीजों की खरीदारी के समय साथ आने वाले पॉलीथिन कैरी बैग, प्यूरीफाइड पानी की बोतलें इत्यादि।
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चिंता की विषय, जल्द करेंगे बैठक
ये चिंता की बात है कि छोटे शहरों में भी लोकप्रिय हो चुके ऑनलाइन फूड डिलीवरी कम्पनियां सिंगल यूज प्लास्टिक का इस तरह इस्तेमाल कर रही हैं। सम्बंधित कम्पनियों के प्रतिनिधि और रेस्टोरेंट संचालकों के साथ जल्द ही हम बैठक करेंगे। भोजन की पैकिंग में इस्तेमाल किए जा रहे प्लास्टिक के विकल्पों पर भी चर्चा करेंगे।
अंकित कुमार सिंह, आयुक्त, नगर निगम
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