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उदयपुर

एक था टाइगर : कभी रणथंभौर की जान रहा उस्ताद नहीं रहा

रंणथंभौर से लाए गए टाइगर टी-24 उस्ताद की मौत

उदयपुरDec 28, 2022 / 10:48 pm

Dhirendra Joshi

एक था टाइगर : कभी रणथंभौर की जान रहा उस्ताद नहीं रहा

एक था टाइगर : कभी रणथंभौर की जान रहा उस्ताद नहीं रहा

धीरेंद्र जोशी. उदयपुर. सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वर्ष 2015 में रंणथंभौर से लाए गए टाइगर टी-24 उस्ताद की लंबी बीमारी के बाद बुधवार को मौत हो गई। करीब छह माह से बीमारी से परेशान उस्ताद ने दोपहर दो बजे अंतिम सांस ली। वर्ष 2015 में उस्ताद को रणथंभौर अभयारण्य से उदयपुर लाया गया था। इस पर आदमखोर होने के आरोप लगे थे। तब से ही यह पिंजरे में कैद रहा।
एक समय उस्ताद रणथंभौर की जान हुआ करता था। इस बाघ के हमले से चार लोगों की मौत के बाद इस पर आदमखोर होने का आरोप लगाया गया। इसके बाद मई-2015 में इसे सज्जनगढ़ लाया गया। उस्ताद के उदयपुर आने के बाद करीब सात साल तक यहां रहा। इन सात सालों में इसकी तबीयत कई बार बिगड़ी, लेकिन हर बार यह पुन: स्वस्थ्य हुआ। करीब छह माह पूर्व जुलाई माह में इसको चलने में परेशानी हुई। इसके बाद से इसकी हालत लगातार बिगड़ती गई और बुधवार दोपहर को इसकी मौत हाे गई। वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पशु चिकित्सकों से उस्ताद का पोस्टमार्टम करवाकर दाहसंस्कार किया।
यह समस्या हुई थी
उस्ताद को जुलाई में चलने में परेशानी हुई थी। इस पर उसकी जांच की गई। चिकित्सकों ने उसके पीछले दायें पैर की हड्डी बढ़ने की समस्या बताई थी। इसके बद से उस्ताद की तबीयत में सुधार नहीं हुआ।
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17 साल का था उस्ताद 7 साल 7 माह कैद रहा
उस्ताद को मई-2015 में सज्जनगढ़ के बायोलॉजिकल पार्क में लाया गया। इसके बाद से इसे नॉन डिस्प्ले एरिया में ही रखा गया। शुरुआत में तो इसके नजदीक जाने वाले सभी केयरटेकर को देखकर यह गुर्राता था। धीरे-धीरे यह शांत हुआ, लेकिन अनजान को देखकर उम्र के अंतिम पड़ाव तक गुर्राता था।
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आजाद कराने के लिए हुए आंदोलन

उस्ताद को जब कैद में रखने का निर्णय लिया गया तो कई वन्यजीव और बाघ प्रेमियों ने इसका विरोध किया। उदयपुर आने वाले कई पर्यटक उस्ताद के बारे में पूछा करते थे। इसको नॉन डिस्प्ले एरिया में रखने से इस बाघ को चाहने वाले लोग इसे कभी देख नहीं पाए।
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उस्ताद की आजादी के लिए कराया मुंडन
उस्ताद को उदयपुर लाने के बाद दिसंबर -2015 में उसे कब्ज की शिकायत हुई। इस पर उदयपुर के वन्यजीव प्रेमी चमनसिंह राठौड़ ने तत्कालीन वनमंत्री के उदयपुर दौरे के दौरान उस्ताद को रिहा करने की मांग की थी। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने कलेक्ट्री के बाहर विरोध स्वरूप सिर मुंडवा दिया था। चमनसिंह का कहना है कि उस्तान ने आम पर्यटकों को कभी हमला नहीं किया। उसे बड़े बाड़े में रखने के आश्वासन भी कई बार दिए गए, लेकिन ताउम्र छोटे से बाड़े में ही गुजरी।
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उदयपुर का सफर

– 16 मई 2015 को लाए

– 23 नवंबर 2015 को ‘उस्ताद’ को कब्ज की शिकायत सामने आई

– 28 नवम्बर, 2015 को चिकित्सकों की टीम ने जांच में पाया कि ‘उस्ताद’ ने बीमारी की वजह से आहार लेना छोड़ दिया।
– 04 दिसम्बर, 2015 को ‘उस्ताद’ की बीमारी का ऑपरेशन हुआ।

– अगस्त, 2016 में ‘उस्ताद’ की तबीयत फिर बिगड़ी और उपचार शुरू किया।

– अप्रेल, 2019 में भी उसकी तबीयत खराब हुई।
– जुलाई-2022 में पीछले दायें पैर की हड्डी बढ़ी।

– अब तक ‘उस्ताद’ को नॉन डिस्प्ले एरिया में ही रखा गया है।

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