8 माह रहता है यहां यातायात का दबाव, बारिश में सन्नाटा
पारसोला से लोहागढ़, झल्लारा, सलूम्बर तक का मार्ग 45 किलोमीटर है, यहां से उदयपुर तक कुल 110 किलोमीटर का सफर होता है। पारसोला से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर ही धोलीमगरी गांव में बनी रपट से यातायात गुजरता है। यह मार्ग बारिश में बंद हो जाता है। आठ माह तक इस रपट ही यातायात का भारी दबाव रहता है, बारिश होते ही लोगों को पारसोला-साबला से आसपुर, झल्लारा होकर उदयपुर पहुंचते है जो 30 किलोमीटर अधिक है।
थाने से भी चौकी का कट जाता है संपर्क
धोलीमगरी गांव के आगे लोहागढ़ पुलिस चौकी है, जो पारसोला थाने से महज पांच किलोमीटर दूर है। बरसात में चौकी का भी इस थाने से संपर्क कट जाता है। घटना दुर्घटना होने पर चौकी के जाप्ते को निठाऊंवा होकर करीब 10 किमी. लम्बा चक्कर लगाना पड़ता है।
चार माह तक होता है व्यापार प्रभावित
पारसोला में कपड़ा, फर्नीचर व किराणा का होलसेल व्यापार है। यहां पर अम्बावा, देवला, लोहागढ, उल्टन, झडोली सहित कई गांवों के ग्रामीण खरीदारी के लिए प्रतिदिन पहुंचते है। अम्बावा सरपंच नारायणलाल मीणा, देवला सरपंच राधकी रमेश मीणा व लोहागढ़ सरपंच प्रतिनिधि शंकर लाल मीणा ने बताया कि तीनों ग्राम पंचायत के लोगों का चिकित्सा, बैंक, पुलिस व व्यापारिक दृष्टि से प्रतिदिन पारसोला आना होता है, बरसात में इन गांवों से संपर्क कटते ही लोग खरीदारी के लिए सलूम्बर जाते है और यहां का व्यापार प्रभावित हो जाता है।
दो बार हो चुके टेंडर निरस्त, तीसरी बार जगी थी आस
कस्बे के पदम मकनावत, हंसमुख मकनावत, मनोहर लाल पचौरी, प्रकाश सेठ, कुलदीप वगेरिया, महावीर मैदावत, ओमप्रकाश जैन, विशाल घाटलिया, कीर्तिशपंचाल सहित व्यापार संघ ने कई बार जाखम नदी पुलिया को ऊंचा बनाने के लिए विभाग व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया गया था। उसके बाद दो बार टेंडर हुए लेकिन एक ही ठेकेदार आने से टेंडर निरस्त हो गए। बाद में पूर्ववर्ती सरकार ने वापस टेंडर कर इस पुलिया के लिए 1332 लाख रुपए स्वीकृत किए। 6 अगस्त 2023 को पूर्व विधायक नगराज मीणा द्वारा पुलिया निर्माण का शिलान्यास किया, लेकिन ठेकेदार ने काम शुरु नहीं किया। उसके बाद सरकार बदल गई और सभी काम रुक गए। नतीजा यह हुआ कि फिर बारिश में फिर परेशानी होगी।
इनका कहना है
पुलिया निर्माण के लिए पूर्व में दो बार टेंडर जारी हुए थे, लेकिन सिंगल कॉपी होने से सरकार ने निरस्त कर दिया था। पूर्ववर्ती सरकार ने 1332 लाख रुपए की लागत से जुलाई 2023 में टेंडर हुआ था। ठेकेदार द्वारा बरसात के बाद कार्य शुरू करना था, लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से नहीं हुआ। अब राज्य सरकार से मार्ग दर्शन लेकर पुलिया निर्माण की स्वीकृति मांगेंगे।