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उदयपुर

डेंगू-मलेरिया का खतरा बढ़ा: राजस्थान में यहां High Risk Zone, फॉगिंग भी फेल

Malaria and Dengue Case: कई इलाकों में तीन-तीन बार फॉगिंग के बावजूद सर्वाधिक डेंगू-मलेरिया के केस उन्हीं इलाकों में आ रहे हैं।

उदयपुरOct 14, 2024 / 11:26 am

Alfiya Khan

malaria
Dengue and Malaria Disease:  उदयपुर।  बारिश में जगह-जगह जमा पानी से पनपे मच्छरों के डंक से अब तो पूरा शहर ही हाई रिस्क जोन में आ गया है। मच्छरों की फौज से निपटने के लिए निगम की ओर से की जा रही फॉगिंग भी फेल हो गई है। कई इलाकों में तीन-तीन बार फॉगिंग के बावजूद सर्वाधिक डेंगू-मलेरिया के केस उन्हीं इलाकों में आ रहे हैं।
इसके पीछे या तो फॉगिंग की दवा का असर मच्छरों पर नहीं हो रहा है या फिर समय में कोई गड़बड़ी हो रही है। इधर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमों को सर्वे में घर में नजर से बचने के लिए लगाए गए काले टायर, गमलों के ट्रे व कबाड़ में सर्वाधिक मच्छर के लार्वा मिल रहे हैं, जो लोगों को बीमार करने के साथ ही डेंगू मलेरिया फैला रहे हैं। लोगों से समझाइश करने पर वे टायर व कबाड़ को बाहर फेंकने के बजाए उल्टा घरों में साफ सफाई का लेक्चर देकर टीम को ही परेशान कर रहे हैं।
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15 साल पुरानी दवा का भी नहीं हो रहा असर

नगर निगम की ओर से शहर में की जा रही फॉगिंग का भी कोई असर नहीं हो रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर बताए गए हाई रिस्क वार्ड में तीन-तीन बार फॉगिंग करने के बावजूद वहां पर ही लगातार डेंगू-मलेरिया के केस आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के बताए फॉर्मूले पर ही निगम अभी मच्छर मारने के लिए पायरेथ्रम और डीजल का घोल बनाकर फॉगिंग कर रहा है।
घोल में 1 लीटर पायरेथ्रम और 19 लीटर डीजल इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन यह फॉगिंग बेअसर साबित हो रही है। 15 साल पुरानी पायरेथ्रम दवा के बावजूद मच्छर कम नहीं हो रहे हैं। एमबी चिकित्सालय के मेडिकल वार्ड बाल चिकित्सालय में लगातार नए डेंगू रोगी भर्ती हो रहे हैं। निजी हॉस्पिटलों में इन मरीजों की भरमार है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

चिकित्सकों व विशेषज्ञों के अनुसार मच्छर शाम के समय ही घर के बाहर निकलते हैं, बाकी के समय वे घरों के अंदर रहते हैं, इस कारण सूर्यास्त से पहले और बाद में दो बार फॉगिंग होनी चाहिए तभी इसका असर रहता है। फॉगिंग में इस्तेमाल किए जा रहे केमिकल की लैब में जांच होनी चाहिए। जिन इलाकों में फॉगिंग हो रही है पहले उस क्षेत्र के लोगों को बताना चाहिए, ताकि वे अपने दरवाजे और खिड़की बंद रखे। नालियों, कूड़े के ढेर में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करना चाहिए।

मरीजों की स्थिति

830 डेंगू पॉजिटिव मरीज शहर में।
160 मलेरिया के मरीज शहर में।
450 मरीज प्रतिदिन हो रहे अस्पताल में भर्ती।
30-35 मरीज आ रहे प्रतिदिन आ रहे डेंगू-मलेरिया पॉजिटिव।
583 मीटर अधिकतम भराव स्तर।
200 से ज्यादा चिकित्सा विभाग के कार्मिक लगे हुए है सर्वे में।

इनका कहना है…

अभी पूरा शहर हाइरिस्क जोन में है। घर-घर सर्वे कर लोगों से समझाइश कर रहे हैं कि वे घरों से कबाड़ को हटाएं। जहां पर पॉजिटिव केस आ रहे हैं वहां पर जागरुकता के लिए टीम जा रही है। दवा के छिड़काव के साथ ही निगम की टीम भी फॉगिंग कर रही है।
डॉ.शंकर बामनिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

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