शहर में सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी रोड पर रहने वाली हमीदा खान उदयपुर में जन्मी, यहीं पली बढ़ी और खेलों में अपना भाग्य आजमाया। वे जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई, पदक जीतकर ही लौटी। हमीदा खान एक जानी पहचानी धावक हैं। उन्होंने दो सौ, चार सौ मीटर दौड़ हो या फिर हर्डल्स, सबमें भाग लेकर उदयपुर का मान बढ़ाया है। खेल का जुनून ऐसा था कि स्टेट लेवल के खेलों में भी उन्होंने रेकॉर्ड कायम किया। हमीदा को महाराणा सज्ज्नसिंह, माणक सुवरण पदक, महाराणा प्रताप पुरस्कार, रजत जयंती पुरस्कार, नाहर पुरस्कार, अमन अवार्ड, खेल गंगा पुरस्कार और मेजर ध्यानचंद पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
1980 में पहली बार शुरू हुआ हर्डल्स, जीता स्वर्ण पदक
धावक हमीदा बानो ने बताया कि 1980 में पहली बार हर्डल्स गेम की शुरुआत हुई थी। इस दौरान हिसार में हुए इंटरनेशनल गेम्स में वे मैदान में उतरी और उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल कर उदयपुर का मान बढ़ाया।
40 साल बाद फिर मैदान में उतरी
हमीदा खान 40 साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर मैदान पर बतौर धावक उतरी। उन्होंने राजीव गांधी ओलंपिक खेल में हिस्सा लिया।
अब तक ये जीते पदक
1979 मद्रास में इंटरनेशनल गेम्स चार सौ मीटर में स्वर्ण पदक
1980 जर्मनी में इंटरनेशनल एशियन गेम्स में बतौर धावक कांस्य पदक
1981 पूना में इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट में चार सौ मीटर दौड़, बाधा दौड़ और चार गुणा चार सौ में स्वर्ण पदक
1981 चतुर्थ एशियन ट्रेक एण्ड फील्ड मीट जापान में रजत और कांस्य पदक
1982 जापान में इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट चार सौ मीटर दौड़ में रजत व चार सौ मीटर बाधा दौड़ में कांस्य पदक
1982 पूना में इंटरनेशनल एशियन गेम्स चार सौ मीटर दौड़, हर्डल्स में स्वर्ण पदक
1982 नई दिल्ली में नौवें एशियन गेम्स में चार सौ मीटर बाधा दौड़ व चार गुणा चार सौ मीटर रिले दौड़ में रजत व कांस्य पदक
1982 मुंबई इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट चार सौ मीटर दौड़, चार सौ मीटर बाधा दौड़ और चार गुणा चार सौ मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक