Goddess Kali and Kalighat: कोलकाता के लोगों के लिए, कालीघाट मंदिर न केवल पूजा का स्थान है, बल्कि शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। मंदिर का एक बहुत पुराना और आकर्षक इतिहास है। माना जाता है कि इसकी स्थापना जो 12वीं शताब्दी में हुई थी। यह मंदिर अनेक वर्षों से अनगिनत भक्तों के लिए प्रेरणा और सांत्वना का स्रोत रहा है। यहां भक्त अपने जीवन के हर अच्छे बुरे समय में देवी काली से आशीर्वाद लेने आते हैं। टूरिस्ट्स का मानना है की नवरात्रि के मौके पर यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है। मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले शालीनता से कपड़े पहनने और अपने जूते उतारने की सलाह दी जाती है।
यह मंदिर कोलकाता शहर के सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए समान रूप से एक लोकप्रिय गंतव्य है। यहां के आर्किटेक्चर की बात करें तो कालीघाट अपनी अनूठी वास्तुकला, जटिल नक्काशी और सुंदर परिवेश के लिए जाना जाता है।
कोलकाता के कालीघाट मंदिर की यात्रा करने के लिए इस तरह सफर कर सकते हैं। कालीघाट का निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह मंदिर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से, आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या कालीघाट तक पहुँचने के लिए बस ले सकते हैं। यदि ट्रेन से जाना चाहते हैं तो यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कालीघाट रेलवे स्टेशन है। हालांकि, अधिकांश लंबी दूरी की ट्रेनें हावड़ा या सियालदह रेलवे स्टेशनों पर रुकती हैं, दोनों ही कोलकाता में स्थित हैं।
इन स्टेशनों से कालीघाट पहुंचने के लिए टैक्सी, बस या मेट्रो ले सकते हैं। कोलकाता का बस नेटवर्क अच्छा है। यहां कई स्थानीय और सरकारी बसें कालीघाट सहित शहर के विभिन्न हिस्सों के बीच चलती हैं। यदि बस नहीं लेना चाहें तो टैक्सी ले सकते हैं। यहां अभी भी काली-पीली टैक्सी चलती है। ये आसानी से उपलब्ध हैं और इन्हें घंटे या दिन के हिसाब से रेंट किया जा सकता है।