क्षेत्र के 29 गांवों की 6985 हैक्टेयर भूमि की समृद्धि के प्रतीक मासी बांध में अक्टूबर के अंत तक साढ़े 6 फीट पानी की आवक हुई है। सिंचाई विभाग के जेईएन मुकेश गुर्जर ने बताया कि मासी बांध में गत वर्ष 250 से 300 एमसी एफटी बारिश दर्ज की गई थी। वहीं वर्ष 2019 में सितंबर तक ही 726 एमएम बारिश हो चुकी थी। वहीं 2019 में टोटल कुल 829 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। जबकि सामान्य बारिश 600 मिमी होती है। इस बार के मानसून में बांध में पानी की आवक तो हुई हैं।
चार बार हुआ लबालब
मासाी बांध डेढ़ दशक में केवल चार बार ही लबालब हुआ है, वहीं दो बार चादर चली है। इसका मुख्य कारण जलभराव करने वाली नदियों के रास्ते में रोककर बनाए हुए दर्जनों एनिकट है, जिससे बांध भराव क्षमता के आंकड़े को प्रतिवर्ष छूने में विफल रहने लगा है। इसी वजह से पिछले करीब 6 वर्ष पहले तक वनस्थली व आसपास की लगभग 5-8 हजार आबादी को इसी बांध से पीने के पानी की सप्लाई होती थी, लेकिन बांध में पानी की आवक नहीं होने से पानी की सप्लाई बंद करनी पड़ी है।
क्षेत्र में स्थित मासी बांध से एक मुख्य व 9 छोटी नहरो़ से सिंचाई होती है, जिनमें बडी कैनाल 42.18 किमी लम्बी व 9 छोटी नहरें 29 किमी लम्बी है, जो 29 गांवों में कुल 71 किमी दायरे मे फैली है, जिससे 6985 हैक्टेयर भूमि की फसलों को जीवनदान मिलता है सिंचाई विभाग के जेईएन मुकेश गुर्जर ने बताया कि बांडी, खेराखाशी, व माशी, नदी से बांध में पानी की आवक होती हैं। इस बांध के भरने से 29 गांवों के करीब 31 हजार से अधिक लोगों को फायदा मिलता हैं।
अभियंता गुर्जर ने बताया कि किसानों की कमेटियां बनी हुई है। इन कमेटियों की अध्यक्षता जिला कलक्टर करते है। कमेटियों में किसानों की मांग पर सिंचाई के लिए नहर में जल वितरण का निर्णय लिया जाता है।
जौधपुरिया बांध का निर्माण 1960 में मासी नदी के तट पर हुआ था, जिसमें दो ओर नदियों बांडी व खाराकोशी का पानी आने से यह त्रिवेणी संगम हो गया। बांध 1971 मे टुट गया था, जिसकी दुबारा मरम्मत की गई। 1986 के बाद 1992से 1998 तक लगातार भरा। वहीं 1998 के बाद 2010 , व 2011 व 2019 में चादर चली है।