दरअसल, यह मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353 के तहत आता है। जिसमें सरकारी अफसर को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने के लिए दंड का प्रावधान है।
नरेश मीणा ने भी वोटिंग के दिन मालपुरा एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारा था। हालांकि, नरेश मीणा का कहना है कि एसडीएम ने फर्जी तरीके से वोटिंग करवाई थी, इसलिए गुस्सा आ गया था।
हो सकती है सात साल की जेल
अगर नरेश मीणा को राजकार्य में बाधा डालने का दोषी पाया जाता हैं, तो 7 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इस धारा के तहत शिकायत दर्ज करने का अधिकार लोक सेवक को ही है। थप्पड़ कांड को लेकर भी पीड़ित एसडीएम की ओर से ही शिकायत दी गई है।
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निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के खिलाफ देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान एसडीएम से मारपीट करने का मुकदमा दर्ज है। इसके अलावा राजकार्य बाधा सहित कई धाराओं में केस दर्ज हुआ है। इसमें पुलिस को चकमा देकर हिरासत से भागने का मामला भी है।