आगामी 13 नवम्बर को करीब 3 लाख मतदाता
नए विधायक का चुनाव करेंगे। देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र परिसीमन में सामान्य है लेकिन दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों ने जातीय समीकरण साधने के लिए वर्ष 2008 विधानसभा आमचुनाव से ही हमेशा दो ही जातियों से उम्मीदवार उतारे है।
वर्ष 2008 में कांग्रेस के रामनारायण मीणा ने भाजपा के नाथू सिंह गुर्जर को हराया जिसके बाद 2013 में भाजपा के नए चेहरे राजेंद्र गुर्जर को टिकट दिया और कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण मीणा को पटखनी दे दी लेकिन वर्ष 2018 में संपन्न चुनाव में भाजपा ने वापस राजेंद्र गुर्जर पर भरोसा जताया। वहीं कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आए सांसद हरीश चंद्र मीना को उतार कर सीट भाजपा से छीन ली।
मीना ने ही लगातार दूसरी बार भी वर्ष 2023 के आमचुनाव में भाजपा से आए नए उम्मीदवार विजय बैंसला को हराकर अपना दबदबा कायम रखा लेकिन पार्टी ने उन्हें छह माह बाद इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में टोंक- सवाई माधोपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ाकर बड़ा दांव खेला जिसमें विधायक मीना ने दो बार के सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया को हराकर जीत दर्ज की। जिसके चलते सांसद चुने मीना ने विधायक पद से इस्तीफा देने से देवली उनियारा सीट रिक्त हो गई। जिसके लिए निर्वाचन आयोग 13 नवम्बर को मतदान करवा रहा है। वैसे इस सीट से दोनों ही प्रमुख पार्टियों से उम्मीदवार की लंबी लिस्ट रही है। लेकिन दोनों पार्टियों ने कोई जोखिम लेने की जगह पुरानी परंपरा को बरकरार रखा है।