उल्लेखनीय है की व्यवस्थापक नरोत्तम शर्मा सरोली मोड़ स्थित कार्यालय पर आए ओर कार्यालय का ताला खोले बगैर बाहर पेड़ की छाव के नीचे बैठकर कार्य करने लग। इसी दौरान जूनिया, सरोली व जलसीना के दर्जनों किसान व ग्रामीण जमा हो गए और पांच सालों से किसानों को ऋण नहीं देने, कार्यालय नहीं खुलने, भरे जा रहे सदस्यता फार्म में लापरवाही बरतने सहित समैत अन्य समस्याओं को लेकर हंगामा शुरू कर उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाने लगे।
सरोली निवासी उपसरपंच सुरजकरण गुर्जर, महावीरप्रसाद वैष्णव, जूनिया निवासी ईश्वर सिंह, पोखर मीणा, सीताराम माली समैत अन्य लोगों ने आरोप लगाया की विभाग ने महावीर गुर्जर को व्यवस्थापक लगा दिया, लेकिन तत्कालीन व्यवस्थापक नरोत्तम शर्मा उसको चार्ज नहीं देकर स्वयं ही यहां आकर कार्य कर रहे है।
जबकि तत्कालीन व्यवस्थापक करीब पांच सालों से क्षेत्र के लोगों को गुमराह करते आ रहे है। इसके बाद लोगों ने व्यवस्थापक को कार्य करने से रोक वापस चले जाने की चेतावनी दी तो व्यवस्थापक वहां से चला गया।
जबरन खुलवाया कार्यालय का ताला
व्यवस्थापक नरोत्तम शर्मा पेड़ की छांव में कुर्सी टेबल लगाई ओर कार्य करने लगे, इस पर मौजूद लोगों ने कार्यालय व गोदाम के ताले खोलकर दिखाने को कहा। इस पर उन्होंने चाबियां उनियारा रह गई का बहाना कर दिया। इसके बाद लोगों का विरोध बढ़ा तो व्यवस्थापक ने कार्यालय का ताला खोला तो लोग दंग रह गए।
कई सालों से नहीं खुलने व आई बारिश से कक्ष में पानी भरा हुआ था साथ ही फर्नीचर व आलमारी में रखा रिकार्ड खराब होने की संभावना पर खरी-खोटी सुनाई। साथ ही उन्होंने कार्यालय परिसर में खड़े वाहन, टूटी दीवारें व जर्जर भवन पर भी नाराजगी जताई।