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सांसद ने लोकसभा में उठाया ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट का मुद्दा

Eastern Rajasthan Canal Project सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने नियम संख्या 377 के तहत लोकसभा में मंगलवार को ईस्टर्न कैनाल राजस्थान प्रोजेक्ट Eastern Rajasthan Canal Project को शुरू करने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विस्थापितों एवं जन प्रतिनिधियों की मांग अनुसार प्रस्तावित ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट राज्य की कालीसिंध, चम्बल आदि नदियों का पानी 13 जिलों (झालावाड, बारां, कोटा, बंूदी, टोंक, सवाईमाधोपुर, अजमेर, जयपुर, दौसा, धोलपुर, करौली, अलवर, भरतपुर) के बांधों में ले जाना प्रस्तावित है।

टोंकJul 10, 2019 / 02:34 pm

pawan sharma

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सांसद ने लोकसभा में उठाया ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट का मुद्दा

टोंक. सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया ( MP Sukhbir Singh Junapuria ) ने नियम संख्या 377 के तहत लोकसभा में मंगलवार को ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट ( Eastern Rajasthan Canal Project ) को शुरू करने का मुद्दा उठाया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विस्थापितों एवं जन प्रतिनिधियों की मांग अनुसार प्रस्तावित ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट राज्य की कालीसिंध, चम्बल ( Chambal ) आदि नदियों का पानी 13 जिलों (झालावाड, बारां, कोटा, बंूदी, टोंक, सवाईमाधोपुर, अजमेर, जयपुर, दौसा, धोलपुर, करौली, अलवर, भरतपुर ) के बांधों में ले जाना प्रस्तावित है।
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इसके माध्यम से टोंक tonk जिले के टोरडीसागर व माशी बांध में डाला जाना प्रस्तावित है। करीब 40,451 करोड़ रुपए लागत की पूर्वी राजस्थान ( Rajasthan) नहर परियोजना की आवश्यक स्वीकृति के लिए केन्द्रीय जल आयोग ( Central Water Commission ) नई दिल्ली ( Delhi ) को पूर्व में राज्य की तत्कालीन भाजपा ( bjp) सरकार के समय ही भेजा जा चुका है। इसका कार्य 3 चरणों में 7 सालों में पूर्ण होगा।
जौनापुरिया ने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना प्रदेश के उत्तर पूर्व भाग टोंक व सवाईमाधोपुर के साथ-साथ अन्य 11 जिलों के किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। राजस्थान सरकार ने इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय से अनुरोध किया है।
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यह परियोजना चम्बल बेसिन की पार्वती एवं कालीसिंध सहायक नदियों के सरप्लस यानी अतिरिक्त पानी को बनास, गम्भीर एवं पार्वती बेसिन में हस्तान्तरण करते हुए टोंक व सवाईमाधोपुर में भी ले जाने की परियोजना है। इसमें चम्बल, पांचना सागर बांध परियोजना भी सम्मिलित है। चम्बल की सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध, मेज एवं चाकन में प्रतिवर्ष करीब 506 0 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध होता है।
ये व्यर्थ ही बह कर समुद्र में चला जाता है। उन्होंने कहा कि कालीसिंध एवं चम्बल नदी के जंक्शन पाइन्ट के डाउन स्ट्रीम पर इस पानी को समुद्र में जाने से रोका जाना चाहिए। इंट्रा बेसिन जल हस्तांतरण योजना यानी पूर्वी राजस्थान केनाल परियोजना का काम जल्द शुरू किया जाना चाहिए। यह पानी जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर माह में ही उपलब्ध होता है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न जिलों के जल संसाधन विभाग के छोटे एवं बड़े बांधों एवं राह में आने वाले पंचायत तालाबों को भरने एवं पेयजल उपलब्ध कराने के लिए यह परियोजना प्रस्तावित है। सांसद जौनापुरिया ने कहा कि इस परियोजना की ओर से 13 जिलों की पेयजल आपूर्ति एवं करीब 2 लाख हैक्टेयर नए सिंचित क्षेत्र व 2.3 लाख हैक्टेयर विद्यमान सिंचित क्षेत्र की सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है।
इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा मिलने से बजट की कमी नहीं रहेगी। साथ ही कार्य में भी गति होगी। इस परियोजना का कार्य 3 चरणों में होगा होगा। पहले चरण में कुम्हारिया, ठिकरिया बांध का जीर्णोद्धार, कुम्हारिया से मुई बांध तक 19 किमी, ग्रेविटी चैनल की स्थापना मुई सूरवाल से बनास नदी पर प्रस्तावित डूंगरी डेम 6 1 किमी प्राकृतिक स्ट्रीम रिसेक्षनिंग, डूंगरी बांध का निर्माण कार्य, डूंगरी बांध के पानी के उपयोग के लिए नहर वितरण प्रणाली विकसित नेटवर्क विकसित करना, कालीसिल बांध को जलापूर्ति के लिए डूंगरी बांध के पास पम्पिंग सिस्टम विकसित करना और डूंगरी बांध से कालीसिल बांध तक कुल 16 .5 किमी ग्रेविटि मैन स्थापित करना आदि कार्य प्रस्तावित है।
दूसरे चरण में उनियारा विधानसभा क्षेत्र में कुम्हारिया से गलवा तक, गलवा से बीसलपुर तक और गलवा से ईसरदा तक, ईसरदा से दौसा जिले के मोरेल और सवाई माधोपुर जिले के धील तक (ग्रेविटी चैनल) और दौसा जिले के मोरेल पर मुख्य पम्पिंग का निर्माण कार्य होगा।
तीसरे व अंतिम चरण में टोंक जिले में बीसलपुर बांध से टोरडी सागर और मांशी बांध तक ग्रेवीटी चैनल निर्माण कार्य, ईसरदा बांध से जयपुर जिले के तीन बांधों (रामगढ़, कालख और छपरवाड़ा) तक फीडर चैनल और मैन पम्पिंग का निर्माण कार्य होगा। अंत में सांसद ने इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाकर पेयजल संकट को दूर करने को कहा। उन्होंने बताया कि कुछ सालों से बीसलपुर बांध में पानी की आवक कम हो रही है।
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