उक्त क्षेत्र जहाजपुर उपखण्ड के ग्रामीण श्रेणी में आने के चलते यहां बिजली की समस्या सर्वाधिक है। वहीं इन समस्याओं का निराकरण भी जहाजपुर सहायक अभियंता कार्यालय से होता है। यहां बिजली नहीं आने, ट्रिपिंग व कर्मचारियों की ओर से सुनाई नहीं करने की समस्या अधिक है। उक्त क्षेत्र में दिनभर बिजली की ट्रिपिंग जारी रहती है। शिकायतों के बावजूद समस्या का निराकरण हुआ न उचित बंदोबस्त। लिहाजा क्षेत्रवासियों को आज भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि शहर की भौगोलिक स्थिति उनकी लिए परेशानी का सबब बन रही है। अन्तिम छोर होने से यह क्षेत्र विकास की दृष्टि से उपेक्षित है तो, नगर पालिका में पूर्णतया शामिल नहीं होने से काम नहीं हो रहे है। वहीं देवली में होने के बावजूद उन्हें जहाजपुर व भीलवाड़ा पर निर्भर रहना पड़ता है।
इन क्षेत्र के लोगों को सरकारी चिकित्सा सहित सुविधाएं तो देवली से मिल जाती है। लेकिन उन्हें सरकारी कामकाज के लिए जहाजपुर जाना पड़ता है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि उन्हें बिजली बिल जमा कराने, गैस सिलेण्डर लेने, राशन कार्ड, आधार कार्ड, जमीन की रजिस्ट्री करवाने सहित कामों के लिए आए दिन जहाजपुर जाना पड़ता है। वहीं कार्यालयों में अधिकारी नहीं होने पर उन्हें कई बार बैरंग लौटना पड़ता है। यदि यह काम देवली में हो जाए तो उनकी तकलीफे कम होगी।
नगर पालिका के पैराफैरी अधीन व भीलवाड़ा जिले में करीब एक दर्जन से अधिक कॉलोनियां व गांव शामिल है। इनमें कुंचलवाड़ा रोड, शिव कॉलोनी, जैन कॉलोनी, कोटा रोड, ज्योति कॉलोनी, कुंचलवाड़ा, ऊंचा, सैनिक कॉलोनी, अजमेर-कोटा बायपास, मायला पोल्या आदि शामिल है।
भीलवाड़ा जिले के अन्तिम छोर पर होने के चलते उक्त क्षेत्र से हमेशा से उपेक्षित रहा है। जहां आज भी यहां सडक़ व रोड लाइट की व्यवस्था नहीं है। कहने को तो हनुमाननगर क्षेत्र देवली नगर पालिका के पैराफैरी अधीन आता है। जहां के प्लॉटों का भू-उपयोग परिवर्तन आदि नगर पालिका करती है, जिसकी एवज में लोगों को विकास शुल्क देवली नगर पालिका में जमा कराना पड़ता है, लेकिन विकास की बात आने पर नगर पालिका अपना क्षेत्र नहीं होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लेती है।