read more: video: विधायक हरीश चन्द्र मीणा ने टॉय टे्रन सहित विकास कार्य का किया लोकार्पण आज शुक्ला बनस्थली विद्यापीठ के चित्रकला विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। डॉ शुक्ला की चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें वनगो और निराला: काव्य और कला की अंतनंगता 2005, किशनगढ़ चित्र शैली 2007, जलरंग : प्रयोग और पद्धति 2014 में राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी जयपुर से प्रकाशित हुई हैं तीनों के द्वितीय संस्करण भी प्रकाशित हो चुकें हैं।
read more:बुक लवर डे: लेखन को बनाया जीवन का हिस्सा, लोग जुड़ते गए, कारवां बनता गया ये पुस्तकें मानव संसाधन विकास मंत्रालय , माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर शिक्षा विभाग के लिए स्वीकृत हैं। चौथी पुस्तक फुर्सत से सोचना (कविता संग्रह)जो सनातन प्रकाशक जयपुर से प्रकाशित हुई है । पाचवीं पुस्तक ‘यत्र तत्र सर्वत्र-ललित निबंध’ प्रकाशक के आधीन है।
read more: video; एक माह से नलों में आ रहा है गंदला पानी, महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन ‘वनगो निराला’ पुस्तक पर- ‘नव निकष कला श्री सम्मान 2018 ‘ प्राप्त हो चुका है। पुस्तक व कला के क्षेत्र में डॉ. शुक्ला को राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों पुरस्कार मिल चुके है। डॉ शुक्ला की कलम और तूलिका दोनों ही समभाव से अनवरत चलती हैं, उनके शब्द और रेखाएं समाज को संवेदनीय आभा प्रदान करतीं है। उनका उद्देश्य ही यहीं रहता है कि जो भी अभिव्यक्ति हो वो समाज में मानवीय भावनाओं को चेतना प्रदान करे और युवाओं को नवीन सृजनात्मक दिखा प्रदान करे।