कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तरुण कुमार पिथोडे ने पत्र जारी करते हुए बताया कि अपात्र व्यक्तियों द्वारा फ र्जी चिकित्सकीय डिग्री, सर्टीफि केट का प्रयोग कर झोलाछाप चिकित्सकों के रूप में अमानक चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग से रोगियों का उपचार किया जा रहा है। ऐसे अपात्र व्यक्तियों द्वारा एलोपैथी पद्धति की औषधियों का उपयोग किया जा रहा है।
उनका पत्र में कहना था कि बिना उपयुक्त चिकित्सकीय ज्ञान के अनुचित उपचार रोगियों के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है। झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा गलत और अमानक दवाओं का उपयोग किया जा रहा रहा है। जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। जिसको लेकर राष्टीय मानव अधिकार आयोग एवं मप्र मानव अधिकारी आयोग द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकरणों में झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए है।
उन्होंने कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र के माध्यम से कहा कि झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा अनैतिक चिकित्सकीय व्यवसाय को नियंत्रित करने के लिए क्लीनिकों को बंद कराया जाए। उनका कहना था कि अगर गैर मान्यता प्राप्त झोलाछाप डॉक्टर द्वारा चिकित्सकीय व्यवसाय करता है तो वर्णित की धारा 7 ग के उल्लंघन में तीन वर्ष का कारावास और 5० हजार रुपए का जुर्माना का प्रावधान है।
इनका कहना
झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के लिए शासन ने पत्र भेजा है। उनकी जांच के लिए जिला स्तर, ब्लॉक स्तर पर टीमों का बना दिया है। उनकी जांच के लिए निर्देश दिए गए है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. शोभाराम रोशन, सीएमएचओ टीकमगढ़।