किसानों ने बताया कि नहर से किसानों को लाभ कम और घाटा अधिक देखने को मिल रहा है। नहर शुभारंभ से पिछले वर्ष रिसाव और अब नहर टूटने की शिकायतें अधिक आ रही है। तीन महीने से नहर टूटी पड़ी, लेकिन सुधार कार्य नहीं किया जा रहा है। इससे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
हरपुरा नहर परियोजना से बुंदेलखंड के चंदेलकालीन तालाबों में हनुमानसागर तालाब, जगतनगर एक तालाब, जगतनगर दो तालाब, टीलादंात तालाब, मोहनगढ़ सोदा तालाब, मोहनगढ़ तालाब, कुम्हैड़ी तालाब, बृषभानपुरा तालाब, अचर्रा तालाब, लक्ष्मीबाई तालाब, बाबाखेरा तालाब,दरगांय खुर्द और दरगांय कलां को जोडऩे की रूपरेखा थी। लेकिन हनुमान सागर, दरगांय खुर्द और दरगांय कलां का तालाब भरने से छूट गया है।
बौरी के गोर्वधन यादव, बालकिशन यादव, रघुवीर यादव, स्वामी प्रसाद, रामसिंह, प्रकाश, भुमानी दास यादव ने बताया कि बारिश के समय बौरी मंदिर के सामने हरपुरा नहर जुलाई में टूट गई थी। वहीं मोहनगढ़ क्षेत्र के राजपाल सिंह, मोहन यादव, जितेंद्र साहू, हरिराम केवट, चतुर्भुज साहू, नंदराम यादव, आशीष और छोटू ने बताया कि दरगांय खुर्द के आगे हरपुरा नहर दो स्थानों से टूट चुकी है। मरम्मत कार्य के लिए तहसीलदार और संबंधित विभाग के अधिकारियों को शिकायत दे चुके है, सुधार के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी ने फोन नंबर देख बंद कर लिया।
२०१२ में तालाब जोड़ो अभियान में हरपुरा नहर परियोजना का हुअ था शुभारंभ
४६ किमी तक निर्माण की गई हरपुरा नहर
११६ करोड की लागत से हुआ हरपुरा नहर परियोजना का निर्माण
११ तालाबों को अभियान से जोडऩे बनाई थी रूप रेखा