खरगापुर थाना प्रभारी मनोज द्विवेदी ने बताया कि तहसीलदार मंगलेश्वर ङ्क्षसह के प्रतिवेदन पर उन्होंने ग्राम रमसगरा की 22 हेक्टेयर जमीन के मामले में तत्कालीन हल्का पटवारी प्रीतम लाल सौर के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही इस मामले की जांच की जा रही है। थाना प्रभारी द्विवेदी का कहना था कि जांच में जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे सभी पर मामला दर्ज कर किया जाएगा। वहीं इतनी बड़ी धोखाधड़ी के मामले में केवल पटवारी पर मामला दर्ज होने पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
शासन द्वारा पूर्व में भूमिहीन किसानों को खेती के लिए सहकारी समिति के माध्यम से जमीन दी जाती थी। वर्ष 1966 से 70 के बीच में जिले में ऐसी तीन समितियों को जमीन दी गई थी। कुछ दिनों तक तो इन जमीनों पर खेती हुई बाद में समिति के सदस्यों ने इसे ऐसे ही छोड़ दिया। सामूहिक कृषि साख सहकारी समिति की रमसगरा की जमीन खसरा नंबर 482/1, 482/32, 520/32, 524, 484, 518 एवं 525/32 22 मार्च 2024 तक समिति के नाम पर सरकारी रिकार्ड में दर्ज रही। इसके बाद 20 फरवरी 2024 के तत्कालीन एसडीएम के आदेश, जिसमें हाई कोर्ट के प्रकरण का हवाला देते हुए इस जमीन को लड्डू बाई अहिरवार, रामादीन रैकवार, रमेश रैकवार एवं भूपेंद्र प्रजापति के नाम दर्ज कर दिया गया। इसके बाद इन लोगों इस जमीन को 24 मार्च 2024 को क्रांति देवी दीक्षित एवं रामदेवी दीक्षित निवासी ङ्क्षछदारी के नाम पर बेच दिया।
इसी दिन इस जमीन का नामांतरण भी कर दिया। इस मामले की जब ग्रामीणों को जानकारी हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत एसडीएम से की। एसडीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए तो यह लोग परेशान हो उठे। इसके बाद इस जमीन को क्रेता क्रांति देवी दीक्षित व रामदेवी दीक्षित ने वापस लड्डू बाई अहिरवार, रामादीन रैकवार, रमेश रैकवार एवं भूपेंद्र प्रजापति के नाम बेच दिया। वही बाद में 2 अप्रैल 2024 को इस जमीन को फिर से रिकार्ड में सामूहिक कृषि साख सहकारी समिति के नाम पर दर्ज कर दिया गया।