आपको सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सत्य है गुढ़ावल स्थित
मां काली (जिन्हें मां कंकाली भी कहा जाता है) की प्रतिमा वर्ष में एक बार स्वयं अपनी गर्दन सीधी करती है। इस मौके पर माता के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा होता है। मान्यता है कि जिस भी भक्त को माता की सीधी गर्दन देखने का मौका मिलता है उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।
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दशहरे के दिन होती है सीधी गर्दनयहां मंदिर में मां काली की प्रतिमा की गर्दन लगभग टेढ़ी बनी हुई है। बताया जाता है कि इस दिन माता की लगभग 45 डिग्री झुकी हुई गर्दन कुछ पलों के लिए सीधी होती है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। माना जाता है इस दिन जो भी मां के दर्शन कर लेता है उसके सारे काम अपने आप बनने लग जाते हैं।
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नवरात्र में होती है विशेष पूजा
छत्तीसगढ़ में रायसेन जिले के गुदावल गांव में मां काली का प्रचीन मंदिर है। यहां मां काली की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा के साथ भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की प्रतिमाएं विराजमान हैं। आमतौर पर यहां पूरे साल माता के भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन शारदीय नवरात्र के बाद दशहरा पर श्रद्धालुओं का तांता लगता है। चैत्र नवरात्र में रामनवमी के दिन विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।
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सूनी गोद भरती है मां
मंदिर के महंत मंगल दास त्यागी बताते हैं कि मंदिर से जुड़ी अलग- अलग मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जिन माता-बहनों की गोद सूनी होती है, वह श्रद्धाभाव से यहां उल्टे हाथ लगाती हैं उनकी मान्यता अवश्य पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर हाथों के सीधे निशान बना दिए जाते हैं। यहां हाथों के हजारों निशान बने हुए हैं।
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