scriptगुरुवार है भगवान विष्णु का दिन: ये हैं जगत के पालनहार के प्रमुख मंदिर | Famous Lord Vishnu temples in india | Patrika News
मंदिर

गुरुवार है भगवान विष्णु का दिन: ये हैं जगत के पालनहार के प्रमुख मंदिर

कलयुग में यहां बसते हैं भगवान विष्णु…

May 14, 2020 / 12:49 pm

दीपेश तिवारी

Famous Lord Vishnu temples in india

Famous Lord Vishnu temples in india

सनातन धर्म में आदि पंच देवों में से एक भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है। वहीं सप्ताह के दिनों में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का होता है। इस दिन संपूर्ण भारत वर्ष में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती हैं।

सनातन धर्म के त्रिदेवों में से एक जगत के पालनहार विष्णु भगवान भी हैं। वैष्णव भक्त इन्हें सबसे बड़ी शक्ति मानते हैं। भारत में विष्णु और उनके अवतार को समर्पित अनेकों मंदिर हैं। आज हम आपको भगवान विष्णु के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारें में बता रहे हैं।

1. तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति:
तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है।

हर वर्ष लाखों की संख्या में यहां दर्शनार्थी आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थिम तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वेंकटेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कहते हैं कलयुग में भगवान विष्णु यहां बसते हैं।

Famous Lord Vishnu temples in india
2. श्री जगन्नाथ मंदिर :
जगन्नाथ मंदिर पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है।
इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।
3. बद्रीनाथ मंदिर:
बद्रीनाथ मंदिर, जिसे बद्रीनारायण मंदिर भी कहते हैं, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है, साथ ही यह हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक धाम भी है। ऋषिकेश से यह 294 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है।
MUST READ : लुप्त हो जाएगा आठवां बैकुंठ बद्रीनाथ – जानिये कब और कैसे! फिर यहां होगा भविष्य बद्री…

https://www.patrika.com/astrology-and-spirituality/eighth-baikunth-of-universe-badrinath-dham-katha-6075524/

4. पद्मनाभस्वामी मंदिर :
भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित यह भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान है। यहां पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को ही ‘पद्मनाभ कहा जाता है।

5. गुरुवायूर मंदिर:
गुरुवायुर अपने मंदिर के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध है, जो कई शताब्दियों पुराना है और केरल में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। मंदिर के देवता भगवान गुरुवायुरप्पन हैं जो बालगोपालन (कृष्ण भगवान का बालरूप) के रूप में हैं। हालांकि गैर-हिन्दुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है, तथापि कई धर्मों को मानने वाले भगवान गुरूवायूरप्पन के परम भक्त हैं।

MUST READ : यहां मौजूद है भगवान शिव का शक्ति पुंज, जल इतना पवित्र कि कुछ बूंदें ही मोक्ष के लिए पर्याप्त

ls.jpg

6. रंगानाथ स्वामी:
यह दक्षिण भारत के तिरुचिरापल्ली शहर, तमिलनाडु के श्रीरंगम में स्थित है। यहां विष्णु जी के पवित्र दिवस एकादशी पर धूम-धाम से पूजा-अर्चना की जाती है। रंगनाथ स्वामी श्री हरि के विशेष मंदिरों में से एक है। कहा जाता है भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने लंका से लौटने के बाद यहां पूजा की थी। माना जाता है कि गौतम ऋषि के कहने पर स्वयं ब्रह्मा जी ने इस मंदिर का निर्माण किया था।

7. विट्ठल रुकमिणी:
यह विष्णु और लक्ष्मी का मंदिर महाराष्ट्र के पंढरपुर में है। विष्णु के एक रूप विट्ठल रुकमिणी लक्ष्मी रूप के संग विराजित है। यहां स्थित विट्टल प्रतिमा श्याम रंग की है, जिनके दोनों हाथ कमर पर लगे हुए हैं। यहां पांच दैनिक संस्कार में प्रभु को उठाना, श्रृंगार, भोग, आरती और शयन शामिल है।

8. केशव देव मंदिर:
यह मंदिर मथुरा, उत्तर प्रदेश में स्थित है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के निकट बना प्राचीन केशवदेव मंदिर यूं तो विश्व पटल पर कई मायनों में प्रसिद्ध है किन्तु कुछ वर्षो पूर्व ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान में हुए नये केशवदेव मंदिर के निर्माण से इस पुराने केशवदेव मंदिर की प्रसिद्धी लुप्त होती जा रही है। यहां भगवान के दर्शन के लिए हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है।

MUST READ : मां लक्ष्मी का एक मंत्र जो देता है सम्रद्धि व संपत्ति, शुक्रवार को ऐसे करें जाप

ml.jpg
9. दशावतार विष्णु मंदिर:
दशावतार विष्णु मन्दिर भग्नप्राय अवस्था में है, किन्तु यह निश्चित है कि प्रारम्भ में इसमें अन्य गुप्त कालीन देवालयों की भांति ही गर्भगृह के चतुर्दिक पटा हुआ प्रदक्षिणा पथ रहा होगा। इस मन्दिर के एक के बजाए चार प्रवेश द्वार थे और उन सबके सामने छोटे-छोटे मंडप तथा सीढ़ियां थीं।
चारों कोनों में चार छोटे मन्दिर थे। इनके शिखर आमलकों से अलंकृत थे, क्योंकि खंडहरों से अनेक आमलक प्राप्त हुए हैं। यहां श्री हरि विष्णु के दशावतार स्वरूप के दर्शन होते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान के दर्शन होने से मोक्ष मिलता है। यह मंदिर बेतवा नदी के तट पर देवगढ़, झांसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
10. सिंहाचलम मंदिर:
यह नरसिंह देवता का मंदिर विशाखापट्टनम के पास है। अक्षय तृतीया के दिन यहां भक्तों का मेला लगता है। सिंहाचलम मंदिर की मान्यता है कि विष्णु अवतार भगवान नरसिंह इसी जगह अपने भक्त की रक्षा के लिए अवतरित हुए थे। शनिवार और रविवार के दिन इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं।
Famous Lord Vishnu temples in india
11. द्वारकाधीश मंदिर:
द्वारका गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले में स्थित एक नगर तथा हिन्दू तीर्थस्थल है। यह हिन्दुओं के साथ सर्वाधिक पवित्र तीर्थों में से एक तथा चार धामों में से एक है। यह सात पुरियों में एक पुरी है। जिले का नाम द्वारका पुरी से रखा गया है जीसकी रचना 2013 में की गई थी। यह नगरी भारत के पश्चिम में समुन्द्र के किनारे पर बसी है।
हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार, भगवान कॄष्ण ने इसे बसाया था। यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है। गुजरात का द्वारका शहर वह स्थान है जहां आज से 5000 वर्ष पूर्व कृष्ण भगवान ने मथुरा छोड़ने के बाद अपनी नगरी बसाई थी। जिस स्थान पर उनका निजी महल ‘हरि गृह’ था वहां आज प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है।
कलयुग में यहां बसते हैं भगवान विष्णु :
भगवान वेंकटेश्वर को विष्णु देव का अवतार माना जाता है। वेंकट पहाड़ी के स्वामी होने की वजह से भगवान विष्णु को वेंकटेश्वर कहते हैं। सात पहाड़ों का भगवान भी कहा जाता है भगवान विष्णु को। तिरुपति बालाजी मंदिर में साल के 12 महीनों में एक भी माह ऐसा नहीं गुजरता है कि जब भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने के लिए भक्तों की कतारें नहीं लगी हों।
भगवान वेंकटेश स्वामी को संपूर्ण ब्रह्माण्ड का स्वामी माना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आन्धप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में हैं। यह भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है।
Tirupati Balaji Mandir In Andra Pradesh Tirumala

भगवान विष्णु ने किया था यहां विश्राम
तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने यहां कुछ समय के लिए विश्राम किया था। तिरुमला के पुष्करणी नाम के तालाब के किनारे भगवान विष्णु ने निवास किया था। मंदिर के पास लगे हुए इस पुष्करणी पवित्र जलकुण्ड के पान का उपयोग सिर्फ मंदिर के पूजन और सेवाकार्यों जैसे कामों में किया जाता है।

इस कुण्ड का पानी पूरी तरह से साफ और कीटाणुरहित है। भक्त इस कुण्ड के पवित्र जल में डुबकी भी लगाते हैं। कहा जाता है, कि भगवान विष्णु ने वैकुण्ठ में इसी कुण्ड में स्नान किया था। मान्यता है कि इस कुण्ड में स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं, साथ ही सभी सुखों की प्राप्ति होती है। बगैर स्नान के इस मंदिर में कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है।

कहा जाता है कि मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब कांचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस जगह पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था, लेकिन 15 वीं सदी के विजयनगर वंश के शासन के बाद भी इस मंदिर की ख्याति सीमित होती गई।

15वीं सदी के बाद मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक जाने लगी। 1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के तहत मंदिर का प्रबंधन हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला। 1933 में इस मंदिर का प्रबंधन काम मद्रास की सरकार ने ले लिया। मंदिर की स्वतंत्र समिति तिरुमाला-तिरुपति मंदिर प्रबंधन का काम संभालती है।

तिरुमला की पहाड़ियां हैं सप्तगिरि
तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास बनी पहाड़ियां शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनी होने से सप्तगिरि कही जाती है। भगवान वेंकटेश्वर का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर है। यह वेंकटाद्रि के नाम से प्रसिध्द है। मंदिर से कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई है।

इनके अनुसार तिरुपति बालाजी मंदिर की स्थापना भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा में ही भगवान विष्णु बसते हैं। भगवान विष्णु यहां समूचे कलियुग में विराजमान रहते हैं। यहां सभी धर्म के अनुयायियों के लिए मंदिर खुला रहता है। यहां बिना किसी भेदभाव और बगैर रोकटोक के किसी भी जाति और किसी भी धर्म के लोग आ-जा सकते हैं।

कैसे जाएं और कहां ठहरें
तिरुपति बालाजी मंदिर जाने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग उपलब्ध हैं। तिरुपति पर एक छोटा-सा हवाई अड्डा भी है। चेन्नई से 130 किलोमीटर दूरी पर मुख्य रेलवे स्टेशन है। एपीएसआरटीसी की बस सेवा भी उपलब्ध है। हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई के लिए सड़क मार्ग और रेल सुविधा है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Temples / गुरुवार है भगवान विष्णु का दिन: ये हैं जगत के पालनहार के प्रमुख मंदिर

ट्रेंडिंग वीडियो