दरअसल आज हम बात कर रहे हैं दक्षिण भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यहां मूर्ति का आकार साल दर साल बढ़ रहा है। यह मंदिर भगवान शंकर और पार्वती का है और खास बात ये है कि यहां स्थित नंदी की मूर्ति का आकार दिन लगातार बढ़ रहा है। यहां तक कि खुद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी इसकी पुष्टि की है। आइए जानते हैं इसके बारे में…
नंदी के बढ़ते आकार के कारण खंबों तक हटाने पड़े…
आंध्र प्रदेश के कुरनूल में श्री यंगती उमा महेश्वरा मंदिर नाम का एक मंदिर स्थित है। अपने आप में इस अनोखे मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां नंदी की प्रतिमा के बढ़ते आकार की वजह से रास्ते में पड़ रहे कुछ खंबों को तक हटाना पड़ा और यह मूर्ति आज भी बढ़ रही है। ऐसे में एक-एक करके यहां नंदी के आस-पास स्थित कई खंबों को हटाना पड़ा गया है।
किसने बनवाया था मंदिर
बतााया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वैष्णव परंपराओं के अनुसार किया गया है। इसे 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के संगम वंश के राजा हरिहर बुक्का राय के द्वारा बनवाया गया है। यह मंदिर हैदराबाद से 308 किमी और विजयवाड़ा से 359 किमी दूर स्थित है। जो कि प्राचीन काल के पल्लव, चोला, चालुक्याज और विजयनगर शासकों की परंपराओं को दर्शाता है।
वैज्ञानिकों ने भी माना बढ़ रही है मूर्ति
भक्तों का मानना है कि मंदिर भगवान शंकर और माता पार्वती प्रतिमा के सामने स्थित नंदी की प्रतिमा पहले काफी छोटी थी। बताया जाता है कि यहां आएं वैज्ञानिकों का भी कहना है कि हर 20 साल पर नंदी की मूर्ति एक इंच तक बढ़ती जा रही है। उनका मानना है कि मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, उसकी प्रवृति विस्तार वाली है। खुद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी नंदी की मूर्ति के बढ़ने की पुष्टि की है।
यहां शिव-पार्वती अर्द्धनारीश्वर के रूप में विराजमान हैं और इस मूर्ति को अकेले एक पत्थर को तराशकर बनाया गया है। संभवत: यह ऐसा अपनी तरह का पहला मंदिर है, जहां भगवान शिव की पूजा शिवलिंग रूप में नहीं बल्कि एक प्रतिमा के रूप में होती है।
खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरे इस मंदिर की एक खास बात और भी है कि यहां पुष्कर्णिनी नामक पवित्र जलस्रोत से हमेशा पानी बहता रहता है। कोई नहीं जानता कि साल 12 महीने इस पुष्कर्णिनी में पानी कहां से आता है। भक्तों का मानना है कि मंदिर में प्रवेश से पहले इस पवित्र जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।