सरदार पटेल ने 546 रियासतों का एकीकरण कर अखण्ड भारत के निर्माण में अहम योगदान दिया था। उनके जन्मदिन पर देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। ऐसे में ‘मिनी इंडिया’ सूरत के बाशिंदे भी कैसे पीछे रहने वाले हैं। वे भी साम्प्रदायिक सौहार्द और एकता के भाव को मजबूती से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इस सोच को साकार करने का बीड़ा दोनों ही धर्म के कुछ लोग गौसेवा को लक्ष्य बनाकर कर रहे हैं।
इसमें प्रवासी राजस्थानी मुस्लिम समाज के युवक बढ़-चढक़र हिस्सा ले रहे हैं। कपड़ा बाजार से सटे भाठेना इलाके में कार्टून, बॉक्स और पैकेजिंग मैटेरियल के कारोबार से जुड़े मुस्लिम समाज के इन युवकों ने स्थानीय हिन्दू समाज के लोगों के साथ मिलकर करीब 10 महीने पहले गौसेवा के लिए गौशाला निर्माण का स्वप्न देखा था। अगले साल जनवरी में 101 गायों से इसकी शुरुआत की तैयारी कर ली गई है। गौशाला के लिए डिंडोली के निकट टिंबरवा गांव में चार बीघा जमीन का सौदा हो चुका है।
और भी जुडऩे लगे
राजस्थान के शेखावाटी अंचल के प्रवासी मुस्लिम युवकों का गौसेवा के प्रति जज्बे की शहर में बसे अन्य प्रवासी राजस्थानी समाज ने प्रशंसा की है। परवत पाटिया क्षेत्र में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह की व्यासपीठ से इस सेवा कार्य में जुड़े फतेह के अलावा मोहम्मद आरिफ, आरिफ सोलंकी, विजय परमार, हर्षद पटेल आदि को सम्मानित किया गया। यहां राजस्थान युवा संघ ट्रस्ट समेत अन्य संगठनों ने गौशाला निर्माण में सक्रिय योगदान का आश्वासन भी दिया।
यूं आया विचार
प्रवासी राजस्थानी मुस्लिम समाज के युवा फतेह बेहलीम ने बताया कि कसाइयों को बेचे जाने वाले गौवंश से पूरा मुस्लिम समाज बदनाम होता रहा है। सूरत और आस-पास के इलाकों में गौहत्या के कई मामलों के सामने आने के बाद यह विचार आया कि जो गाय दुधारू नहीं होने पर पशुपालक कसाइयों को बेच देते हैं या लावारिस छोड़ देते हैं, उनके लिए मुस्लिम समाज की गौशाला होनी चाहिए। यह विचार सेवानिवृत्त पुलिस उपनिरीक्षक एसएम चरपोट और उनके मित्रों के साथ साझा किया गया। फिर इस दिशा में कार्य शुरू हो गया।
जनवरी में तैयारी
चरपोट ने बताया कि टिंबरवा गांव में चार बीघा जमीन में गौशाला करीब एक करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगी। इसका नाम वृंदावन गौशाला होगा। जनवरी में मकर संक्रांति तक इसकी शुरुआत की पूरी तैयारी है। गौशाला निर्माण की दिशा में लोक डायरे का आयोजन भी किया जाएगा, ताकि लागत राशि के संग्रह में कोई दिक्कत नहीं आए। प्रवासी राजस्थानी मुस्लिम समाज के युवाओं में आया एक विचार सैकड़ों गाय की सेवा का मार्ग प्रशस्त करेगा।