रेल मंत्रालय के निर्देशानुसार पश्चिम रेलवे ने चार जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों की रैक को मेमू में परिवर्तित करने का निर्णय किया है। इस पर 10 अक्टूबर से अमल शुरू कर दिया गया है। पहले ही दिन सूरत-विरार पैसेंजर के यात्रियों ने पुरानी रैक के स्थान पर नई रैक देखकर विरोध शुरू कर दिया। रोजाना सफर करने वाले यात्रियों ने कोच में कम सुविधा होने की बात कहते हुए पुरानी रैक की मांग की और करीब ढाई घंटे तक ट्रेन को प्लेटफॉर्म संख्या तीन पर रोके रखा। सूरत स्टेशन के क्षेत्रीय रेल अधिकारी सी. आर. गरूड़ा ने ‘पत्रिका’ को बताया कि नई मेमू रैक में पुराने कोच के मुकाबले अधिक सुविधाएं है। पैसेंजर ट्रेन की रैक में 22०० से 23०० पैसेंजर सफर कर सकते थे, लेकिन मेमू कोच में ५८०० पैसेंजर बैठकर तथा खड़े होकर सफर कर सकते हैं।
इस रैक में दो प्रकार के कोच हैं। प्रथम ड्राइविंग मोटर कोच (डीएमसी) और द्वितीय ट्रेलिंग कोच (टीसी)। मेमू ट्रेन के दरवाजे बड़े होते है, जिससे पैसेंजरों को चढऩे तथा उतरने में आसानी होती है।
यात्रियों के लिए सीट के अलावा कोच में खड़े रहने के लिए हैंडल की सुविधा है। मेमू कोच में लाइटिंग तथा पंखों की संख्या अधिक होती है। टीसी कोच में बायो टॉयलेट की सुविधा है। ट्रेन के कोच अंदर से एक-दूसरे से कनेक्ट होते हैं, जिससे यात्री एक कोच से दूसरे कोच में आसानी से आ-जा सकते हैं। डीएमसी कोच में 40 प्रथम श्रेणी सीटें और महिला यात्रियों के लिए ३६ सीटें होती हैं। इसके अलावा ११४ यात्रियों के खड़े रहने की सुविधा होती है। प्रथम श्रेणी के पांच कोच फिक्स हैं, जिससे इन्हें निकाला नहीं जा सकता। पहले प्रथम श्रेणी के कोच निकाल लेने की शिकायतें आती थीं, वह मेमू कोच से दूर हो जाएगी। टीसी के प्रत्येक कोच में १०८ यात्रियों के बैठने तथा २१६ यात्रियों के खड़े रहने की सुविधा है।