scriptPATRIKA GROUND REPORT : जानिए शहर में कितने है स्ट्रीट डॉग, क्यों हो रहे हिंसक, कितनों को काटते है? | Know how many street dogs are there in surat ciy, why violent ? | Patrika News
सूरत

PATRIKA GROUND REPORT : जानिए शहर में कितने है स्ट्रीट डॉग, क्यों हो रहे हिंसक, कितनों को काटते है?

surat news: patrika ground report – सूरत में श्वान हो रहे हिंसक – बकरी का शिकार किया, महिला की भी काटने से मौत – शहर में हर साल औसत ५० हजार अधिक लोग होते हैं डॉग बाइट का शिकार – मनपा के प्रयास बेअसर, भोजन के लिए संघर्ष श्वानों को बना रहा है हिंसक Jaanie shahar mein kitane hai street dog, kyon ho rahe hinsak, kitanon ko kaatate hai? – Dogs in Surat becoming violent – Goat hunted, woman also killed by biting – The city OF SURAT has an average of 50 thousand people got dog baits every year.

सूरतSep 29, 2019 / 11:16 pm

Dinesh M Trivedi

PATRIKA GROUND REPORT : जानिए शहर में कितने है स्ट्रीट डॉग, क्यों हो रहे हिंसक, कितनों को काटते है?

PATRIKA GROUND REPORT : जानिए शहर में कितने है स्ट्रीट डॉग, क्यों हो रहे हिंसक, कितनों को काटते है?

सूरत. शहर के सैयदपुरा इलाके में श्वानों द्वारा एक बकरी का शिकार करने तथा जिले केश्वानों के काटने की घटना ने श्वानों के हिंसक स्वरूप को उजागर कर दिया है। आमतौर पर गलियों में रहने वाले श्वान जंगली श्वानों की तरह बकरी का शिकार नहीं करते। महिला को भी जिस तरह से काटा गया वह भी गंभीर है। ऐसे में यदि समय रहते उनके हिंसक होने के कारण का पता लगाकर उपाय नहीं किए गए तो इसके परिणाम और भी गंभीर हो सकते हंै।

जानकारों की माने तो फिलहाल शहर में लगभग एक लाख श्वान हैं। इनमें बहुत बड़ी तादाद गलियों में घूमने वाले आवारा श्वानों की है। यदि पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर गौर करे तो २०१७ में श्वानों ने ५० हजार २९० लोगों को काटा था। वहीं २०१८ में यह संख्या ५४ हजार २४४ थी। चालू वर्ष में भी अब तक श्वानों के काटने के ३९ हजार मामले सामने आ चुके हैं। वर्ष के अंत तक यह संख्या ६० हजार के पार भी पहुंच सकती है। इनमें आवारा श्वानों के साथ पालतू श्वानों के काटने के मामले भी शामिल हैं। कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं। जिनमें पालतू श्वानों ने अपने मालिक एवं उनके परिवार के सदस्यों को काटा है। आवारा श्वानों की बात करें तो बड़ी संख्या में बच्चे भी उनके शिकार होते हंै। बच्चे खेल खेल में उनके करीब चले जाते हंै। ऐसे में श्वान अगर रैबिज ग्रस्त हो तो हमला निश्चित ही होता है।
PATRIKA GROUND REPORT : जानिए शहर में कितने है स्ट्रीट डॉग, क्यों हो रहे हिंसक, कितनों को काटते है?
रात में चौराहों जमाते है अड्डा, लोग होते हैं हादसों का शिकार
जानकारों की मानें तो दिन में आवारा श्वान गलियों में अलग-अलग जगह पर बिखरे रहते हैं, लेकिन रात में गलियों के नुक्कड़ों- चौराहों पर अड्डा जमा लेते हैं। ऐसे में लोगों को वहां से निकलना मुश्किल हो जाता है। खासकर दुपहिया वाहन चालकों का। अनजान दुपहिया वाहन दिखते ही सभी भौंकना शुरू कर देते हैं और उसके पिछले दौड़ लगाते हैं। कुछ मामलों में वे तो वाहन चालकों को काट भी लते हैं तो कई मामलों में सडक़ हादसे का शिकार होते हंै। दिन में भी आवारा श्वान सडक़ हादसों का सबब बनते हैं। शहर के लिम्बायत, गोडादरा, भटार, पांडेसरा, पालनपुर जकातनाका, मॉडल टाउन, परवत पाटिया, अडाजण, बमरोली व कतारगाम में चौराहों पर आवारा श्वान देखे जा सकते हैं।

कचरा पात्र हटाने से हुए हिंसक
जानकारों का मनना है कि मनपा ने नो कंटेनर योजना के तहत शहर के सभी प्रमुख चौराहों एवं नुक्कडों से कचरा पात्र हटा दिए हैं। इस वजह से श्वानों के लिए भोजन की समस्या पैदा हो गई है। पूर्व उन्हें इन कंटेनरों से भरपेट खाना मिल जाता था। लेकिन श्वानों की बढ़ती संख्या व भोजन के स्रोत कम होने से उनमें खाने के लिए संघर्ष बढ़ गया है। इस वजह से श्वान अधिक हिंसक हो गए हैं तथा प्राणियों का शिकार तक करने लगे हंै।

मनपा के प्रयास बेअसर
२०११ में शहर में डॉग बॉइट के मामलों में वृद्धि होने तथा करीब १५ हजार मामले सामने आने पर मनपा ने केन्द्र सरकार के प्रोजेक्ट के तहत शहर में आवारा श्वानों की संख्या को मानवीय ढंग से नियंत्रित करने के लिए उनकी नसबंदी का कार्यक्रम शुरू किया था। उस समय श्वानों की तादाद १० से २० हजार के करीब बताई जाती है। लेकिन मनपा की इस योजना से श्वानों की तादाद पर अंकुश नहीं लग पाया। शहर में पर्याप्त डॉग शेल्टर नहीं होने के कारण अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। क्योंकि नसबंदी के लिए मादा श्वान को सात दिन और नर श्वान को तीन दिन शेल्टर में रखना होता है। मनपा के पास ५० अधिक श्वानों को रखने की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से श्वानों की बढ़ती तादाद पर कोई असर नहीं पड़ा। बताया जा रहा है कि अब तक ४० हजार श्वानों की नसबंदी हो चुकी है, लेकिन करीब ६० हजार अभी भी ऐसे श्वान हैं जिनकी नसबंदी नहीं हुई है।

श्वानों की वजह से लोगों में होते हैं झगड़े
पालतू श्वानों के किसी और व्यक्ति को काटने से लोगों के बीच झगड़े भी होते हैं। दो दिन पूर्व में एक पालतू श्वान द्वारा एक बच्ची को काटने पर मोहल्ले के लोग श्वान के मालिक के घर पहुंच गए थे। दोनों पक्षों में विवाद इतना बढ़ा कि मामला थाने पहुंचा। कुछ वर्ष पूर्व गोडादरा के महाराणा प्रताप चौक इलाके में भी हिंसा हो चुकी है। इस क्षेत्र में स्थित एक मीट शॉप से कचरा फेंके जाने पर चौराहों पर रात २५-३० श्वानों का जमावड़ा रहता था। ये श्वान राहगीरों पर हमला करते थे। लोगो ने मीट शॉप को वहां से हटवाने के लिए शिकायतें भी की, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर एक दिन हिंसा हुई और मीट शॉप में जमकर तोडफ़ोड़ भी हुई थी।
आइडिएनेशन: सुनील मिश्रा, कंटेंट: दिनेश एम.त्रिवेदी

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