परिजनों ने बताया कि भगवती भाई आचार्य रजनीश ओशो की विचारधारा को मानते थे । इसीलिए उन्होंने परिजनों को कहा कि उनकी मौत के बाद आनंदोत्सव मनाया जाए । परिजनों ने भी ऐसा ही किया और श्मशान घाट में अंत्येष्टि कर्म से पहले सभी भक्तिगीतों पर झूमे । मृत्यु का उत्सव जोरदार ढंग से मनाया । भगवती के तीन बेटियां और एक बेटा है । उन्होंने बताया कि पिताजी कहते थे, अंत्येष्टि कर्म से पहले मनाए जाने वाले उत्सव को मैं अर्थी पर चिरनिद्रा में लैटे-लैटे ही देख पाऊं, ऐसा करना।
महिलाएं भी श्मशान घाट में पहुंचीं आम तौर पर श्मशान घाट पर शोकग्रस्त महिलाएं नहीं जातीं लेकिन मृत्यु के उत्सव में उन्हें भी जाने का मानो न्यौता दिया गया हो, तभी तो वे भी अपने प्रियजन के चिरनिद्रा में सो जाने पर भी उत्सव में खुशी के साथ झूमने से नहीं चूकीं। तापी नदी के किनारे स्थित कुरुक्षेत्र घाट पर सभी अंतिम क्रियाएं पूरी की गईं । श्रीकुरुक्षेत्र श्मशानभूमि जीर्णोद्धार ट्रस्ट की ओर से संचालित इस श्मशान घाट में हंसी-खुशी के साथ भजनों पर नाचते-झूमते मृत्यु का उत्सव मनाया गया।
कई लोग गरबा भी रमते हैं
ट्रस्ट के प्रमुख कमलेश सेलर ने पत्रिका को बताया कि सूर्यपुत्री तापी नदी के कुरुक्षेत्र घाट पर अकसर ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जब परिजन अपने रिश्तेदार को चिर विदाई देने से पहले श्मशान घाट पर भक्तिगीतों पर गरबा नृत्य करते हैं।