किसान आंदोलन से जुड़े संगठन खेडूत समाज के प्रमुख जयेश पटेल ने राजस्थान पत्रिका को बातचीत में बताया कि गुजरात में कुल 224 एपीएमसी मार्केट है। अधिकतर तहसील मुख्यालयों पर इनका गठन किसानों और उपभोक्ताओं को जमाखोरी व मुनाफाखोरी करने वालों से बचाने के लिए किया गया था। एपीएमसी का काम लाइसेंसी व्यापारियों व किसानों के बीच तालमेल बिठाए रखना है।
लेकिन सरकार के तीन नए कानून अब एपीएमसी के प्रभाव को जैसे खत्म कर रहे हैं। ऐसे में किसानों और उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित नहीं रह पाए। शायद दलाल फिर से सक्रिय हो जाएं। जबकि गुजरात सरकार तो बहुत पहले से ही एपीएमसी के बाहर अन्य व्यापारियों को लाइसेंस जारी कर चुकी है। जिसके चलते वे सीधे किसानों से उनके कृषि उत्पाद ले रहे हैं।
एपीएमसी की आय प्रभावित हो रही है। एपीएमसी को अधिकृत व्यापारियों के ‘सेज’ से आमदनी होती हैं। एपीएमसी में लेनदेन नहीं होने से उनकी आय बंद हो गई है। ऐसे में सोनगढ़, कड़ाणा, कठलाल, घारी, उभरेठ, वंथली, तलाला, धरमपुर, मांगरोल, गरियाधार, खेड़ा, विजयनगर, संतरामपुर, शिहोर, तिलकवाड़ा जैसी छोटी एपीएमसी बंद हो गई है।
सात की आय बंद, 4 ने कर्मचारियों की सेवा लेना किया बंद :
राज्य में सात एपीएमसी मार्केटों की आय पूरी तरह बंद हो चुकी है। चार मार्केटों ने कई कर्मचारियों की सेवाएं लेनी बंद कर दी है। दस मार्केटों द्वारा वेतन में कटौती की जा रही है। 14 मार्केट अपने जमा फंड में से कर्मचारियों का वेतन चुका रही है। कुल 22 भी जल्द ही कर्मचारियों के वेतन बंद करने की स्थिति में पहुंच गई है। कर्मचारियों द्वारा सरकार से उनकी आजीविका बचाने के लिए गुहार लगाई जा रही है।
बड़े मार्केटों की हालत भी खराब! :
सूत्रों का कहना है कि बड़े एपीएमसी मार्केटों की भी आमदनी बहुत हद तक कम हो गई है। उनकी हालत भी बिगड़ रही है। किसानों से सीधे सौदे का लाइसेंस मिलने के बाद एपीएमसी के व्यापारी भी मार्केट के बाहर सौदा कर सेस कर देने से बच रहे हैं। फिलहाल इन एपीएमसी के कर्मचारियों को वेतन तो नियमित रूप से मिल रहा है, लेकिन यह कब रहेगा, कहा नहीं जा सकता। इस बारे में बातचीत के लिए सूरत सरदार मार्केट के प्रमुख रमण जानी से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फिलहाल अमरीका में होने की बात बता कर बाद में जानकारी देने को कहा।
सूरत एपीएमसी की दो करोड़ की आमदनी घटी!
सूरत एपीएमसी में मोटे तौर पर सब्जियों की बिक्री अधिक होती है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) की सेस से एपीएमसी को एक प्रतिशत की आमदनी होती थी। अब यह आमदनी बंद हो गई है। टर्न ओवर अधिक होने के कारण सूरत एपीेएमसी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन यह बदलाव जरूर आया है।
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सूरत जिले की एमपीएमसी की आमदनी के आंकड़े व स्थिति ( लाखों में) :
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एपीएमसी- 2018 -2019-2020-2021- स्थिति :
कोसंबा-38.49-34.77-23.37-3.69-बंद
महुवा-8.85-9.39-7.75-1.22-बंद
बारडोली-23.29-27.37-24.65-1.2-बंद
मांडवी-36.11-33.01-33.03-13.47-चालू
उमरपाड़ा-6.68-3.87-1.56-3.59-बंद
सूरत- 1640 -1669-2018-1571- चालू
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रजिस्ट्रार ने सभी एपीएमसी से मांगा हिसाब : प्रदेश की करीब 15 एपीएमसी मार्केट्स को ताले दिखते हैं। वहीं, दर्जनों छोटी एपीएमसी की आमदनी 90 फीसदी तक कम होने से वे मृतप्राय: हो गई हैं। इनके लिए कर्मचारियों का वेतन चुकाना मुश्किल हो गया है। कर्मचारियों की गुहार पर सरकार भी हरकत में आई है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने इस पर रिपोर्ट तलब की है। जिसको लेकर प्रदेश के रजिस्ट्रार ने सभी जिलों के सहकारी रजिस्ट्रार से अपने जिले में स्थित एपीएमसी मार्केट्स की आमदनी, व्यव, कर्मचारियों की संख्या, वेतन व खरीद-बिक्री के आंकड़ों समेत संपूर्ण जानकारी मांगी है।
अपने ही खेत में मजदूर बन जाएगा किसान !
स्थानीय किसान नेताओं का कहना है कि एपीएमसी के खात्मे की शुरुआत हो रही है। इसके दूरगामी परिणाम यह होंगे कि अमीर व्यापारी और अमीर होंगे और गरीब किसान और गरीब होगा। एपीएमसी से जैसी व्यवस्था ही नहीं रहेगी तो अमीर व्यापारी खुल कर मनमानी कर सकेंगे। वे अपनी पूंजी के बल पर बाजार को अपने हिसाब से चलाएंगे। वह दिन दूर नहीं, जब किसान अपने खेत में मजदूर बन कर रह जाएगा।