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इसमें अब तक एक की मौत हो चुकी है, तो 40 से अधिक लोग उल्टी-दस्त से पीडि़त हैं। सांवरापारा और ब्राम्हणपारा में पड़ताल करने पत्रिका की टीम गुरुवार को पहुंची, तो ग्रामीण तपन पारी ने बताया कि चार महीने से बोर का केसिंग फटा है। बारिश के पहले से सरपंच धनमती बघेल को मरम्मत के लिए शिकायत कर रहे हैं।
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बावजूद अब तक मरम्मत नहीं कराया गया है। बोर के आसपास गंदा पानी भी भरा हुआ है। ऐसे में केसिंग पाइप से होकर गंदा पानी बोर से आ रहा है। इसी पानी को पीकर गांव में डायरिया फैल गया। जिसकी चपेट में आकर ग्रामीण शंकर नाग की मौत हो चुकी है। वहीं 40 से अधिक लोग उल्टी-दस्त से पीडि़त हैं, जिनका इलाज चल रहा है।
इस मामले को लेकर मौके पर मौजूद ग्राम सचिव से बात कि गई तो वह अपना नाम तक नहीं बताया। सचिव से महिला सरपंच का नंबर मांगने पर भी वह मुंह छिपाता रहा। ग्रामीणों के कहने पर जो नंबर उसने दिया तो डायल करने पर वह नंबर बंद बता रहा था।
ऐसे शुरू हुआ गांव में डायरिया का सिलसिला
ग्रामीण रमेश पारी ने बताया कि सप्ताहभर पहले मृतक शंकर नाग उल्टी-दस्त से पीडि़त अपने भाई और बेटे को इलाज के लिए बकावंड हॉस्पिटल लेकर गया था। भाई और बेटे के इलाज के दौरान ही शंकर को भी उल्टी-दस्त शुरू हो गई और तबियत इतनी बिगड़ गई की उनकी मौत हो गई। इसके बाद गांव में उल्टी-दस्त से पीडि़तों की संख्या लगातार बढऩे लगी। तीन दिनों में करीब 40 से अधिक लोग डायरिया से पीडि़त हो गए।
मेडिकल कॉलेज में है पांच मरीज भर्ती
पीठापुर में हर दिन डायरिया के नए मरीज मिल रहे हैं। बुधवार को 22 और गुरुवार को 18 नए मरीज मिले। वहीं डायरिया पीडि़त छह गंभीर मरीजों को बुधवार को मेकॉज में भर्ती किया गया। इसमें एक मरीज को गुरुवार को डिस्चार्ज दे दिया गया। वहीं अभी पंाच मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि सभी मरीज खतरे से बाहर है।
अव्यवस्थाओं के बीच लगा स्वास्थ्य शिविर
गांव मेें तीन दिनों से शिविर लगाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। एक छोटे दुकान के बाहर मरीजों की जांच कर वहीं दुकान के अंदर मरीजों को जमीन पर लेटाकर सलाइन लगा रहे हैं। यहां जगह कम होने की वजह से बाकी मरीज सलाइन लगवाने का इंतजार करते रहे। वहीं एक को दुकान के बाहर चबूतरे पर ही सलाइन चढ़ा दिया।
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अब निस्तारी की हो रही समस्या
गांव में पेयजल के लिए सिर्फ एक बोर और एक हैंडपंप है। ऐसे में ज्यादातर लोग बोर का ही पानी पीते हैं। डायरिया फैलने के बाद बोर को बंद कर दिया गया है। अब पेयजल और निस्तारी के लिए सिर्फ एक हैंडपंप है जिससे ग्रामीणों को पर्याप्त पेयजल मिल रहा है, लेकिन निस्तारी की समस्या बढ़ गई है। ऐसे में ग्रामीणों को निस्तारी के लिए दूसरे गांव से पानी लाना पड़ रहा है।
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गांव में तीन दिनों से लगातार शिविर लगाया जा रहा है। यहां पर मरीजों की जांच कर सलाइन भी चढ़ाया जा रहा है। जब तक स्थिति बेहतर नहीं हो जाता शिविर लगाया जाएगा। स्कूल और अन्य सरकारी भवन में शिविर लगाने के लिए सरपंच से बात की जाएगी।
-डॉ. आरके चतुर्वेदी, सीएमएचओ