गत वर्ष यहां पर सरकार ने 30 बेड बढ़कर 50 बेड स्वीकृत कर दिया गया था। उसी के साथ यहां पर चिकित्सा और नर्सिंग स्टाफ भी बढ़ना चाहिए था। आनन-फानन यहां पर 30 से 50 बेड होने पर 20 बेड ऊपर की मंजिल पर लगा दिए, लेकिन स्टाफ नहीं होने से अब 20 बेड वाले वार्ड बंद रहता है। वहां पर लोगों की भर्ती नहीं होती कई बार रोगी वार्ड में ठसाठस भर्ती किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि ऊपर का वार्ड खोल देंगे तो स्टाफ की कमी के चलते रोगियों को संभालने में दिक्कत रहेगी।
यहां पर फिजिशियन, सर्जन, सीनियर डॉक्टर के पद रिक्त होने के कारण यहां पर लगे चिकित्सा अधिकारी ही रोगियों को देखते हैं। कई बार गंभीर रोगी आने पर उन्हें यहां से तत्काल रेफर कर दिया जाता है।
चिकित्सालय पर दवा वितरण केंद्र प्रभारी को स्टोर की जिम्मेदारी भी दे रखी है, जिससे वह दवा वितरण केन्द्र पर ध्यान नहीं दे पाता है। 400 लोगों के आउटडोर में दवा लेने वाले रोगी एक कर्मचारी पर निर्भर है, जिससे उसे भी काफी परेशानी होती है।
यहां पर वर्तमान में प्रथम नर्स ग्रेड के दो पद रिक्त पड़े हुए हैं एवं 12 नर्सिंग कर्मियों का पद रिक्त होने के कारण सात कर्मियों को 24 घंटे रोगियों की सेवा करनी पड़ती, जिसमें सुबह के समय तीन मे एक एक इंजेक्शन रूम में लगा रहता है। दूसरा इंडोर, तीसरा इमरजेंसी में, ऐसे में रोगी आने पर उन्हें की सार संभाल करने में समय लग जाता है।ऐसे में कई बार रोगी गुस्सा हो जाते हैं।यहां पर रिक्त पड़े नर्सिंग स्टाफ के पद भर जाए, ताकि नियमित रूप से रोगों की सेवा की जा सके।
रमेश कुशवाहा, चिकित्सालय प्रभारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हिण्डोली।