scriptRajasthan: 2 बच्चों की मां ने पैरालंपिक में जीता पदक, पोलियो हुआ, समाज के ताने सुने, बैंक में नौकरी की लेकिन नहीं हारी हिम्मत | Para Olympics 2024 Bronze Winner Mona Agarwal Mother Of 2 Children Story In Inspirational | Patrika News
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Rajasthan: 2 बच्चों की मां ने पैरालंपिक में जीता पदक, पोलियो हुआ, समाज के ताने सुने, बैंक में नौकरी की लेकिन नहीं हारी हिम्मत

Paralympics 2024 Inspirational Story: मोना के पति रविन्द्र चौधरी भी पेरा खिलाड़ी है। 2017 में मोना और रविन्द्र की एक प्रतियोगिता में मुलाकात हुई। इसके बाद 2018 में दोनों जिदंगी के हमसफर बन गए। पति रविन्द्र ने हमेशा खेलों में आगे बढ़ाने की सीख दी।

सीकरOct 25, 2024 / 09:53 am

Akshita Deora

Motivational Real Life Story: यदि मन में कुछ करने का जूनून हो तो तमाम मुसीबतों को मात देकर इतिहास रचा जा सकता है। यह साबित कर दिखाया है सीकर निवासी मोना अग्रवाल ने। मोना ने पेरिस पेरा ओलपिक में शूटिंग में बॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा है। मोना अग्रवाल के पदक जीतते ही सीकर तक खुशियां पहुंच गई। मोना का परिवार पिछले 20 साल से नेपाल में रहता है। यहां इनके परिवार के अन्य सदस्य रहते है। मोना अग्रवाल की स्कूली शिक्षा सीकर की निजी स्कूलों से हुई है। मोना को बचपन में पोलिया हो गया था। इस दौरान समाज के ताने सुनती रही, लेकिन हार नहीं मानी।

2017 में शुरू किया खेलों में कॅरियर

मोना अग्रवाल पोलिया से पीड़ित होने के बाद भी संघर्ष करती रही। एमबीए तक पढ़ाई करने के बाद 2017 में खेलों में कॅरियर शुरू किया। सबसे पहले एथलेटिक्स में कॅरियर बनाने की सोची और कई पदक भी जीते। लेकिन बाद में पावर लेटिंग खेलना शुरू कर दिया। यहां भी पदक जीतकर मिसाल कायम की। इसके बाद बाद सिटिंग वॉलीबॉल की देश की पहली खिलाड़ी बन गई। 2022 से शूटिंग शुरू कर दी।
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पति ने बढ़ाया हौसला

मोना के पति रविन्द्र चौधरी भी पेरा खिलाड़ी है। 2017 में मोना और रविन्द्र की एक प्रतियोगिता में मुलाकात हुई। इसके बाद 2018 में दोनों जिदंगी के हमसफर बन गए। पति रविन्द्र ने हमेशा खेलों में आगे बढ़ाने की सीख दी।
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बच्चों से दूर रहकर किया संघर्ष

मोना अग्रवाल ने लगभग दस महीने बच्चों से दूर रहकर अभ्यास किया। मोना के पांच साल की बेटी आरवी और तीन साल का बेटा अविक है।

पहले की प्राईवेट फिर मिली सरकारी नौकरी

मोना अग्रवाल का शुरू से सपना था कि खुद के संघर्ष के दम पर आगे बढ़ने का। इसके लिए मोना ने निजी क्षेत्र में जॉब शुरू कर दिया। इसके बाद बहरोड कोर्ट में लिपिक के पद पर नौकरी मिल गई। इसके बाद पदक जीतने पर आबकारी विभाग में लिपिक के पद पर खेल कोटे में जयपुर में नौकरी मिल गई।
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सीकर में भी जश्न, छह महीने आई थी

मोना अग्रवाल के पदक जीतने की खुशी में सीकर में भी जश्न रहा। रामलीला मैदान निवासी राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि मोना ने सीकर व राजस्थान का नाम पूरी दुनिया में चमकाया है। हर किसी को मोना पर गर्व है। उन्होंने बताया कि मोना के पिता प्रेमचंद अग्रवाल व भाई अंकुर अग्रवाल का नेपाल में हार्डवेयर में कारोबार है। मोना छह महीने पहले सीकर आकर परिवार के अन्य सदस्यों से मिलकर गई थी।

इससे पहले झाझडिया ने बढ़ाया था मान

शेखावाटी के खिलाड़ी पहले भी देश को पेरा ओलपिक में पदक दिला चुके है। चूरू निवासी देवेन्द्र झाझड़िया ने वर्ष 2004, 2016 व 2021 पेरा ओलपिक में दो स्वर्ण और एक रजत पदक देश को दिला चुके है।
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