मामला यह है कि एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा था। यह आदेश चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी व सदस्य विशेषज्ञ ए. सेंथिल वेल की तीन सदस्यीय टीम ने दिया है। मंगलवार को सुनवाई हुई थी। अब मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
दायर हुई थी याचिका उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरभ तिवारी की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए इसमें पहले प्रधानपीठ ने 18 जनवरी को पारित आदेश में प्रयागराज में गंगा और यमुना में बिना शोधित नालों के पानी के निस्तारण संबंधी आरोपों की सत्यता की जांच और वास्तविकता जानने के लिए सदस्य सचिव उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जिलाधिकारी प्रयागराज के अगुवाई में संयुक्त समिति गठित की गई थी।
रिपोर्ट में हुआ खुलासा एनजीटी को भेजी गई संयुक्त समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों नदियों में 76 नाले गिरते है। इनमें 37 नालों को जल निगम द्वारा टैप कर 10 विभिन्न एसटीपी के माध्यम से शुद्धिकरण के पश्चात गंगा– यमुना नदियों में निस्तारित किया जा रहा है।
शेष 39 अनटैप्ड नालों के उत्तप्रवाह को नगर निगम द्वारा बायोरेमेडियेशन प्रणाली से उपचार कर गंगा और यमुना नदी में निस्तारित किया जा रहा है। अनटैप्ड नालों को टैप्ड किए जाने के लिए जल निगम द्वारा राजापुर में 90 एमएलडी, नैनी– वन में 50 एमएलडी और सलोरी में 43 एमएलडी क्षमता वाले तीन अलग-अलग एसटीपी की स्थापना प्रस्तावित है।