महाकाली मंदिर के पुजारी संजय अवस्थी ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व प्रमुख पर्वों में से एक माना जाता है। इस पर्व में मां शक्ति की आराधना विधि-विधान से की जाती है। एक वर्ष में कुल मिलाकर चार नवरात्रि आती हैं। जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि के अलावा चैत्र और शारदीय नवरात्रि शामिल हैं। पहली गुप्त नवरात्रि माघ के महीने में आती है और दूसरी गुप्त नवरात्रि आषाढ़ माह में मनायी जाती है। गुप्त नवरात्रि आम नवरात्रि से भिन्न होती है। दरअसल इसमें तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां भगवती देवी की आराधना की जाती है। इस पर्व में दस महाविद्याओं की साधना करने का विधान है।
पं. नरेंद्र शास्त्री ने बताया कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि में जहां नौ देवियों की विशेष पूजा का प्रावधान है। वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। जिसमें मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी हैं। तांत्रिकों के लिए गुप्त नवरात्रि का महत्व बहुत अधिक होता है। इसमें गुप्त रूप से देवी मां की पूजा की जाती है।
पं. केशव महाराज ने बताया कि आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा तंत्र-मंत्र के लिए की जाती है।
इस नवरात्रि में तंत्र और मंत्र दोनों के माध्यम से भगवती की पूजा की जाती है। नाम के अनुसार इस गुप्त नवरात्र में की जाने वाली शक्ति की साधना के बारे में जहां कम लोगों को ही जानकारी होती है, वहीं इससे जुड़ी साधना-आराधना को भी लोगों से गुप्त रखा जाता है। मान्यता है कि साधक जितनी गुप्त रूप से देवी की साधना करता है, उस पर भगवती की उतनी ही कृपा बरसती है।