बूंदी डिपो में जहां चालक और परिचालकों की खासी कमी है, वहीं वर्कशॉप में मैकेनिक ही नहीं है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में बूंदी आगार 53 बसों का संचालन हो रहा है। इनमें एक भी अनुबंधित नहीं है। हाल ही में निगम को बीएस-6 श्रेणी की दो नई बसें मिली है। चिंता की बात यह है कि वर्तमान में निगम की कुल 53 बसों में से 37 बसें आठ लाख किलोमीटर चल चुकी है या फिर आठ साल पुरानी हो चुकी है।
अवधि पार होने के बावजूद निगम इन बसों का संचालन कर यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहा है। निगम के अधिकारियों का दावा है कि जिन अवधि पार बसों का संचालन किया जा रहा है.वे अभी सही हालत में है और सड़कों पर चलने लायक है। जो बस कडंम या खराब हो चुकी है, उनका प्रस्ताव मुख्यालय बनाकर भिजवा दिया गया है। 6 बसें खराबी के चलते वर्कशॉप में खड़ी है। दो बसें कडंम होने पर केंद्रीय कार्यालय में भिजवा रखी है।
मुख्यालय से मांगी बसें
रोडवेज को 59 रूट पर बसों का संचालन करना है, लेकिन बसों के साथ कर्मचारियों की कमी के चलते वर्तमान में सिर्फ 46 रूटों पर निगम बसों का संचालन हो पा रहा है। यूं तो बूंदी आगार को 61 बसों की आवश्कता है। अभी उपलब्ध 53 बसों में से कई बसें निगम के अवधिपार के मापदण्ड पूरे कर चुकी है। ऐसे में 14 बसों की आवश्यकता की डिमांड निगम ने मुख्यालय भेज रखी है। निगम के अधिकारियों का मानना है कि बूंदी आगार को जल्द 10 नई बसें और मिलेगी।
ये रूट फिलहाल बंद
बसों की कमी के चलते जयपुर, हरिद्वार, केशवरायपाटन, नैनवां, अजमेर के साथ कोटा के रूट पर फेरे कम हो रहे है। कर्मचारियों का टोटा
बूंदी आगार में 98 चालकों की जरूरत है। इसमें 63 बसों का संचालन और ऑफिस का कार्य कर रहे है जबकि अनुबंध पर 20 चालक ले रखे है। निगम के स्थाई 17 चालक अनफिट चल रहे है। निगम के पास वर्कशॉप में कर्मचारी भी कम है।
बूंदी आगार में नई बसों के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेज रखे है। हालांकि निगम के पास एक भी अनुबंधित बसें नहीं है। चालक और परिचालक की कमी को देखते हुए अनुबंध पर चालक ले रखे है। बसों की संया बढ़ाने के लिए भी मुयालय को पत्र लिखा है। नई बसे मिलने से जो रूट बंद है, उन पर भी बसों का संचालन शुरु किया जाएगा।
सुनीता जैन, मुख्य प्रबंधक बूंदी आगार